यूनिवर्सिटी आफ टुकरू में डिपार्टमेंट आफ क्लिनिकल मेडिसिन के शोधकर्ता टाटू कैंटोनेन के मुताबिक अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि क्या किसी व्यक्ति के मोटापा ग्रस्त होने से पहले मस्तिष्क में वे बदलाव दिखाई देते हैं या नहीं।
टुकरु (फिनलैंड), मोटापा को कई बीमारियों का कारण माना जाता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि मोटापा के कारकों की पहचान की जाए ताकि उससे बचने की प्रभावी कोशिश हो सके। इस संबंध में एक नए अध्ययन में पाया गया है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि के मोटापे के जोखिम वाले कारक मस्तिष्क के कार्य में बदलाव से जुड़े हैं। यह शोध जर्नल आफ ओबीसिटी में प्रकाशित हुआ है।
चूंकि मोटापे की समस्या से दुनियाभर में हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं, इसलिए यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा चिंता का कारण बन गया है। इसी वजह से मोटापे की रोकथाम के लिए तरह-तरह के उपाय सुझाए जाते हैं। नए शोध के मुताबिक, मोटापा इंसुलिन के प्रति मस्तिष्क की संवेदनशीलता तथा न्यूरोट्रांसमीटर के फंक्शन में बदलाव से जुड़ा है। इन बदलावों से भूख अधिक लगने और ज्यादा खाने की प्रवृत्ति को समझा जा सकता है।
यूनिवर्सिटी आफ टुकरू में डिपार्टमेंट आफ क्लिनिकल मेडिसिन के शोधकर्ता टाटू कैंटोनेन के मुताबिक, अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है कि क्या किसी व्यक्ति के मोटापा ग्रस्त होने से पहले मस्तिष्क में वे बदलाव दिखाई देते हैं या नहीं। या फिर वे बदलाव भविष्य में मोटापे के खतरे को बढ़ाते हैं। शोधकर्ता ने इंसुलिन, ओपिआइड तथा कैनाबिनोआइड के फंक्शन के आधार पर मोटापा के पहले मस्तिष्क में बदलाव का अध्ययन किया। इस अध्ययन में मोटापा के विभिन्न रिस्क फैक्टरों वाले 41 युवाओं को शामिल किया गया।
देखा गया कि माता-पिता के मोटापा के शिकार होने या डायबिटिक होने की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के मस्तिष्क में इंसुलिन सिग्नल बदला हुआ होता है और ओपिआइड और कैनाबिनोआइड तंत्र के फंक्शन में कमी आती है।
कैंटोनेन ने बताया कि चूंकि संतुष्टि और भूख का कंट्रोल न्यूरल नेटवर्क से होता है, इसलिए किसी व्यक्ति के मोटापे के शिकार होने से पहले उसमें होने वाले बदलाव को परखा जा सकता है। मस्तिष्क में होने वाले ये बदलाव मोटापे के पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले जोखिम से जुड़े होते हैं। इस निष्कर्ष के आधार पर मोटापे से बचाव या उसे बढ़ने से रोकने के लिए कारगर इलाज खोजने में मदद मिल सकती है। इससे स्पष्ट होता है कि मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) मोटापा के इलाज के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्य हो सकता है।
भविष्य में शोधकर्ता मोटापा पर काबू पाने के लिए मस्तिष्क और सेंट्रल नर्वस सिस्टम के कामकाज में अनुकूल बदलाव लाने के लिए कोई उपयुक्त तरीका या दवा की खोज कर सकते हैं। उसके जरिये घातक बीमारियों से बचा जा सकेगा।