महुआ बहुत गुणकारी, नाम एक फायदे अनेक।

पोषक तत्वों से भरपूर हर तरीके से लोगों के लिए लाभकारी भोजन/फल के रूप में या औषधि के लिए उपयोग कर – महुआ।

आवाज़ –ए– लखनऊ ~ संवाददाता – महेन्द्र कुमार

हसनगंज (उन्नाव) – महुआ के हर हिस्से में विभिन्न पोषक तत्व मौजूद हैं। कई इलाकों में इसकी खेती इसके बीजों, फूलों और लकड़ी के लिये की जाती है। कच्चे फलों की सब्जी भी बनती है। महुआ के हर हिस्से में विभिन्न पोषक तत्व मौजूद होते हैं। पके हुए फलों का गूदा खाने में मीठा होता है।

प्रति वृक्ष उसकी आयु के अनुसार सालाना 20 से 200 किलो के बीच बीजों का उत्पादन कर सकते हैं। इसके तेल का प्रयोग त्वचा की देखभाल,साबुन या डिटर्जेंट का निर्माण करने के लिए और वनस्पति मक्खन के रूप में किया जाता है। तेल निकलने के बाद बचे इसके खल का प्रयोग जानवरों के खाने और उर्वरक के रूप में किया जाता है। इसके सूखे फूलों का प्रयोग मेवे के रूप में किया जा सकता है। इसके फूलों का उपयोग भारत में शराब के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। कई भागों में पेड़ को उसके औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है, इसकी छाल को औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता है।

इसकी पत्तियाँ फूलने के पहले फागुन-चैत में झड़ जाती हैं। पत्तियों के झड़ने पर इसकी डालियों के सिरों पर कलियों के गुच्छे निकलने लगते हैं। इसे महुए का कुचियाना कहते हैं। कलियाँ बढ़ती जाती है और उनके खिलने पर सफेद फूल निकलता है जो दोनों ओर से खुला हुआ होता है और उसके अन्दर जीरे होते हैं। यही फूल खाने के काम में आता है और ‘महुआ’ कहलाता है। महुए का फूल बीस-बाइस दिन तक लगातार टपकता है। महुए के फूल में चीनी का प्रायः आधा अंश होता है, इसी से पशु, पक्षी और मनुष्य सब इसे बड़े चाव से खाते हैं। इसका प्रयोग हरे और सूखे दोनों रूपों में होता है। हरे महुए के फूल को कुचलकर रस निकालकर पूरियाँ पकाई जाती हैं और पीसकर उसे आटे में मिलाकर रोटियाँ बनाते हैं। जिन्हें ‘महुअरी’ कहते हैं। सूखे महुए के तरह के पकवान बनाये जाते हैं। इसे भिगोकर और पीसकर आटे में मिलाकर ‘महुअरी’ बनाई जाती है। यह गायों, भैसों को भी खिलाया जाता है जिससे वे मोटी होती हैं और उनका दूध बढ़ता है।

बीज का क्या कहना –

फल के बीच में एक बीज होता है जिससे तेल निकलता है। इसे गुल्लू कहा जाता है। इसके तेल को कफ, पित्त और दाहनाशक बताते हैं। महुआ के बीज स्वस्थ वसा (हैल्दी फैट) का अच्छा स्रोत हैं। इसका इस्तेमाल मक्खन बनाने के लिए किया जाता है।

महुआ के फूल/फल से बनाई जाती है कच्ची शराब –

इससे शराब भी बनाई जाती है। महुए की शराब को संस्कृत में ‘माध्वी’ और ग्रामीण इलाकों में इसे ‘ठर्रा’ या कच्ची दारू कहते हैं। और काफी पसंद की जाती है। महुए का सूखा फूल बहुत दिनों तक रहता है और खराब नहीं होता है।

फल है बड़ा उपयोगी-

इसका फल परवल के आकार का होता है और ‘कलेन्दी’ कहलाता है। इसे छीलकर, उबालकर और बीज निकालकर सब्जी भी बनाई जाती है। जो काफी पसंद की जाती है।

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