मार्च महीने में गर्मी ने तोड़ा 122 साल का रिकार्ड, जानें- आगे कैसा रहेगा मौसम का हाल

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक उत्तर भारत में हीट वेव यानी लू का असर जारी रहेगा। जबकि पूर्वोत्तर बिहार और आंतरिक तमिलनाडु में हल्की बारिश हो सकती है। वहीं झारखंड के लोगों को लू से मामूली राहत मिलने की संभावना है।

 

नई दिल्ली। मार्च महीने में इस साल बढ़ी तपिश ने 122 साल का रिकार्ड तोड़ दिया। सूर्यदेव ने इस कदर आग उगली कि लोग गर्मी से बेहाल हो गए। इससे पहले 1901 में मार्च इतना गर्म रहा था। इसके उलट 1908 के बाद सबसे कम बारिश हुई। उत्तर पश्चिम भारत में 5.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 47.5 मिमी (89 प्रतिशत) कम रही। मध्य भारत में 87 प्रतिशत कम बारिश हुई, जो सामान्य 8.4 मिमी के मुकाबले केवल 1.1 मिमी है। उत्तर भारत में पारा तेजी से ऊपर जा रहा है। कई राज्यों में लू (Heat Wave) की स्थिति बनी हुई है। लेकिन उत्तर-पूर्वी बिहार में लोग बढ़ते पारा से थोड़ी राहत की उम्मीद कर सकते हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, पूर्वोत्तर बिहार और आंतरिक तमिलनाडु में हल्की बारिश हो सकती है। वहीं, झारखंड में पिछले कई दिनों से अधिकतम तापमान में हो रही वृद्धि और लू से लोगों को आज यानी 3 अप्रैल को मामूली राहत मिलने की संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक, जम्मू , हिमाचल प्रदेश, विदर्भ और गुजरात में हीट वेव की संभावना जताई है। इसके अलावा 06 अप्रैल के दौरान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एनसीआर और मध्य प्रदेश में भी लू चलेगी। मौसम विभाग  के अनुसार, दिल्ली में न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस जबकि अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस रह सकता है। साथ ही लू का असर दिखाई देगा। आईएमडी के मुताबिक, अगले 24 घंटों के दौरान, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में हल्की और मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। इसके अलावा उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, शेष पूर्वोत्तर भारत, दक्षिण तटीय कर्नाटक और लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश संभव है।

मध्य एवं उत्तर भारत में मार्च खूब तपा, 1901 में हुई थी इतनी गर्मी

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के मुताबिक मार्च माह में देशभर में अधिकतम तापमान सामान्य से 1.86 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मौसम विभाग ने इस असामान्य गर्मी के लिए उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति और दक्षिण भारत में वर्षा की कमी को जिम्मेदार माना है। कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विज्ञानी डा. एसएन पांडेय कहते हैं कि बादल रहित आकाश व सूर्य की किरणों के सीधे आने की वजह से तापमान बढ़ा है। इस माह मौसम में कोई विशेष बदलाव नहीं होगा, साथ ही तापमान और बढ़ेगा। उनके मुताबिक, इस बार मार्च माह के दौरान पूरे देश का औसत अधिकतम, न्यूनतम और औसत तापमान क्रमश: 33.10 डिग्री सेल्सियस, 20.24 डिग्री सेल्सियस और 26.67 डिग्री सेल्सियस रहा। 1981 से 2010 की अवधि में यह तापमान क्रमश: 31.24 डिग्री सेल्सियस, 18.87 डिग्री सेल्सियस और 25.06 डिग्री सेल्सियस था। वर्ष 1901 के बाद से दूसरा मार्च ऐसा था जब तापमान काफी ज्यादा था। औसत दैनिक तापमान सामान्य से 3.22 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के साथ 121 वर्षो में यह दूसरा सबसे ज्यादा गर्म मार्च रहा।

उत्तर भारत में चलेगी लू

आइएमडी के मुताबिक अगले दो से चार दिनों में जम्मू, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लू चलने की संभावना है। दो अप्रैल से चार अप्रैल तक अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में बहुत भारी वर्षा की भविष्यवाणी की गई है। अगले दो दिनों में मेघालय में अत्यधिक भारी वर्षा की भविष्यवाणी की गई है।

जानें- क्या है तापमान बढ़ने का मुख्य कारण

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डा. एसएन पांडेय ने बताया किमार्च में दो बार ग्रीष्म लहर चली। एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से पश्चिम की ओर से उत्तर और मध्य भारत में गर्मी बढ़ी। तापमान में बढ़ोतरी का ग्लोबल वार्मिंग भी एक मुख्य कारण है।

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