मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत गत वर्ष कमला नेहरू नगर मैदान में गाजियाबाद के अलावा हापुड़ और बुलंदशहर के पंजीकृत दो हजार से अधिक श्रमिकों की पुत्रियों का विवाह कराया गया। शादी अनुदान की राशि वसूलने की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची तो शासन ने गंभीरता दिखाते हुए संज्ञान लिया। जिलाधिकारी के आदेश पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया।
गाजियाबाद, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत गत वर्ष कमला नेहरू नगर मैदान में गाजियाबाद के अलावा हापुड़ और बुलंदशहर के पंजीकृत दो हजार से अधिक श्रमिकों की पुत्रियों का विवाह कराया गया। इसमें 350 से अधिक विवाह के नाम उनसे कहा कि फर्जीवाड़ा कर शादी अनुदान की राशि वसूलने की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची तो शासन ने गंभीरता दिखाते हुए संज्ञान लिया। इसकी जांच के आदेश दिए। जिलाधिकारी के आदेश पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने सामूहिक विवाह के दौरान हुई 68 शादियों में से करीब 40 की जांच पूरी की है, जिसमें अधिकांश में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जांच के बाद सामने आए मामलों पर ड़ालते हैं नजर…
शादी में ठेकेदारी, सरकारी पैसे की हुई बंदरबाट
सरकार भले ही सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए तमाम प्रयास करे, लेकिन अधिकारी योजना का लाभ अपात्रों को देकर अनुदान राशि की बंदरबाट कर रहे हैं। रजिया ने बताया कि मुरादनगर से प्रोपर्टी डीलर असलम, गनी और वसीम आदि सामूहिक विवाह के लिए चार बस भरकर कार्यक्रम स्थल तक ले गए। उनकी एक बेटी का फार्म भरा और दो बेटियों के पैसे वसूल लिए। उन्होंने सभी को 30-30 हजार रुपये देने की बात की थी। अधिकांश इनमें ऐसी दुल्हन थी, जो शादीशुदा थीं। उन्हें 20-20 हजार रुपये दिए गए। फरीदा ने बताया कि कुछ ने विरोध किया तो कहा कि बाद में कोई योजना आएगी तो इससे अधिक दिला देंगे। इस योजना में सरकारी पैसे की बंदरबाट गाजियाबाद से लेकर बुलंदशहर और हापुड़ तक हुआ। उप श्रमायुक्त अनुराग मिश्रा से मामले की जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो मोबाइल पर काल रिसीव नहीं हो सकी।
केस नंबर-1
गाजियाबाद के विजय नगर की महिला मिथलेश पंजीकृत श्रमिक है। उसने अपनी दो पुत्रियों प्रियंका और ज्योति तोमर का वर्ष 2022 में विवाह कराते हुए 75-75 हजार रुपये विवाह अनुदान के रूप में ली। जांच में पचा चला कि दोनों 11 दिसंबर 2021 में श्रम विभाग में श्रमिक के रूप में पंजीकृत हैं। श्रमिक कार्ड में दोनों विवाहित हैं। इनमें ज्योति के पति का नाम धीरज निवासी मवई कला और प्रियंका के पति के नाम की जगह पिता का नाम लिखा था। श्रमिक कार्ड में लगे फोटो में सिंदूर भी लगा है।
केस नंबर-2
नूरनगर सिहानी की रहने वाली सुनीता पंजीकृत श्रमिक है। सामूहिक विवाह योजना के तहत अपनी पुत्री छाया का सामूहिक विवाह योजना के तहत पंजीकरण कराया, जिसमें छाया के पति के रूप में राहुल राज निवासी मेरठ के कागज सबमिट किए। जांच के दौरान जब राहुल राज तक टीम पहुंची तो बताया कि उनका विवाह मुजफ्फरनगर में हुआ है। वह छाया को नहीं जानते। मामले में राहुल राज ने अपने बयान दर्ज कराए। जांच में पता चला कि छाया पहले से ही विवाहित थी।
केस नंबर-3
मोदीनगर का मनोज जनसेवा केंद्र संचालक है, जिसकी सास का पंजीकृत श्रमिक है। उसके श्रमिक कार्ड पर श्रम विभाग की सामूहिक विवाह योजना में अपनी पत्नी का आवेदन कर दिया, जिसमें मनोज ने अपना मोबाइल नंबर दर्ज किया। जांच के दौरान टीम जब मनोज तक पहुंची तो पता चला कि मनोज और डोली के पहले से ही तीन बच्चे हैं। शादी अनुदान का लाभ लेने के लिए ही इस योजना का लाभ लिया गया।
सामूहिक विवाह योजना में हुआ घोटाला: शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ता एवं भाकियू किसान के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री गजेंद्र शर्मा ने कहा- श्रम विभाग की ओर सामूहिक विवाह योजना के तहत कराई गई शादियों में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। ऐसे भी कई मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें पुत्रियों के विवाह का परिवार के लोगों काे पता तक नहीं। कई के नाम सामूहिक विवाह में आए, लेकिन उनके खाते की जगह दूसरी जगह पैसा ट्रांसफर हुआ। यह सभी श्रम विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ।
बिना जांच पड़ताल के दिया गया योजना का लाभ: अधिकारी
वहीं, जिला समाज कल्याण अधिकारी, अमरजीत सिंह ने कहा कि अगर श्रम विभाग अधिकारी या कर्मचारी आधार कार्ड के माध्यम से अपात्रों को इसमें शामिल होने से रोक सकते थे। जांच में सामने आ रहा है कि सामूहिक विवाह योजना के दौरान बिना जांच पड़ताल के योजना का लाभ दे दिया गया। अभी तक की गई जांच में अधिकांश पहले से ही विवाहित सामने आई हैं।