मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआइ तीन महीनों के शीर्ष पर, 15 माह में पहली बार बढ़े रोजगार के मौके,

आईएचएस मार्केट के मासिक सर्वे के मुताबिक जुलाई महीने में देश की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में पिछले तीन माह में सबसे मजबूत वृद्धि देखने को मिली। आईएचएस मार्केट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में 55.3 पर पहुंच गया।

 

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय इकोनॉमी कोरोनो की दूसरी लहर के प्रभावों से बाहर निकलते हुए नजर आ रही है। सोमवार को जारी मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं। आईएचएस मार्केट के मासिक सर्वे के मुताबिक, जुलाई महीने में देश की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में पिछले तीन माह में सबसे मजबूत वृद्धि देखने को मिली। कोविड-19 की वजह से विभिन्न जगहों पर लागू लॉकडाउन में छूट और मांग की स्थिति में सुधार से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में यह उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली। आईएचएस मार्केट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में 55.3 पर पहुंच गया, जो जून महीने में 48.1 पर रहा था।

पीएमआई पर 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि, जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।

मिल रहे हैं नए ऑर्डर

आईएचएस मार्केट में एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ”यह देखना उत्साहजनक है कि भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री जून की गिरावट से उबर रही है। स्थानीय स्तर पर कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों में ढील और नए ऑर्डर मिलने में तेजी के बीच करीब एक-तिहाई कंपनियों उत्पादन में मासिक वृद्धि दर्ज कर रही है। इससे उत्पादन में ठोस रफ्तार से वृद्धि हुई है।”

लीमा ने कहा, ”अगर महामारी में कमी देखने को मिलती है तो हम कैलेंडर वर्ष 2021 में भारत में औद्योगिक उत्पादन में 9.7 फीसद की सालाना वृद्धि की उम्मीद करते हैं।”

रोजगार के मोर्चे पर सुधार

रोजगार के मोर्चे की बात की जाए तो जुलाई में नौकरियों में मामूली वृद्धि देखने को मिली। इससे 15 माह से चली आ रही छंटनी का सिलसिला थम गया।

लीमा ने कहा, ”यद्यपि मामूली ही सही, लेकिन कोविड-19 के आने के बाद नौकरियों में पहली बार बढ़ोत्तरी देखने को मिली। कंपनियों की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि, अतिरिक्त क्षमता के संकेत मिले हैं। फिर भी यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि क्या यह ट्रेंड आने वाले समय में जारी रहेगा।”

मुद्रास्फीति के मोर्चे पर देखा जाए तो इसमें हल्की नरमी देखने को मिली है। हालांकि, लागत व्यय में काफी अधिक तेजी देखने को मिली है। आउटपुट से जुड़े खर्चों में मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन कई कंपनियां बिक्री को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त लागत को खुद वहन कर रही हैं।

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