यामी गौतम को पैपराजी की इस हरकत से है सख्त नफरत, बोलीं – वह हमारा प्राइवेट मोमेंट होता है

यामी गौतम शरद केलकर और सनी कौशल के साथ नेटफ्लिक्स पर रिलीज फिल्म चोर निकल के भागा में नजर आ रही हैं। आलिया भट्ट के और बॉलीवुड के कई सितारों के बाद हाल ही में दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए पैपराजी कल्चर पर प्रतिक्रिया दी।

 

मुंबई :   हवाई जहाज के अपहरण पर हिंदी सिनेमा में कई फिल्में बनीं हैं। इनमें 24 मार्च को नेटफ्लिक्स पर रिलीज फिल्म ‘चोर निकल के भागा’ भी शामिल है। इसकी कहानी हीरे की चोरी को लेकर है जो बाद में विमान अपहरण में बदल जाती है। फिल्म के बहाने इसके कलाकार यामी गौतम और शरद केलकर की अंतरंग बातचीत स्मिता श्रीवास्तव के साथ…

आप लोगों की पहली हवाई यात्रा का क्या अनुभव रहा है?

शरद केलकर : (हंसते हुए) मेरा तो बहुत अच्छा था। मुझे तो ऐश्वर्या राय जी के साथ शूट करने का मौका मिल रहा था। सहारा एयरलाइंस का विज्ञापन था। मैं पहली बार फ्लाइट से गोवा गया था। वहां जाकर मालूम हुआ कि ऐश्वर्या जी तो वहां हैं नहीं, वो तो क्रोमा पर शूट कर रही हैं। पर पहली बार फ्लाइट से जाने का यह अनुभव शानदार था।

यामी गौतम : मेरी पहली फ्लाइट मुंबई के लिए ही थी और मैं बहुत नर्वस थी क्योंकि मैं अकेले ट्रैवल कर रही थी। पापा ने मुझे हर स्टेप बताया था कि कैसे कहां पर जाना होगा। मेरे ढेर सारे सवाल थे। वहां पहुंची तो बिल्कुल वैसी ही प्रक्रिया थी जैसा पापा ने समझाया था। रात को फ्लाइट लैंड होनी थी, ऊपर से शहर काफी जगमगा रहा था।

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मुझे लगा कि इसलिए कहते हैं मुंबई सपनों का शहर है, जो कभी सोता नहीं है। दरअसल, मुझे लगता था कि मुंबई में हर रात सेलिब्रेशन होता है। फिर धीरे-धीरे नीचे आने पर पता चला कि वो गाड़ियों व घरों की रोशनी थी। जब फ्लाइट लैंड हुई तो लोगों ने ताली बजाई। मुझे नहीं पता वो ताली क्यों बजा रहे थे, लेकिन मैंने भी तलाई बजाई।

 

शरद : (बीच में बोलते हुए) वो स्मूथ (बिना हिचकोले खाए) लैंडिंग के लिए होगा।

यामी : अगर किसी के घर में जाओ और कुछ खाने को देता था तो पहले मना कर देते थे तो मैं इतनी भोली थी कि फ्लाइट में भी केक मना कर दिया, बगल वाले ने केक खा लिया। अब मैं कैसे मांगू दोबारा। यह सब चीजें मेरे साथ पहली फ्लाइट के दौरान हुई थीं।

जब आपकी पहचान बन गई, तो प्रशंसकों के साथ कैसा अनुभव रहा…

शरद : हमें भी अच्छा लगता है। आखिरकार हम कलाकार हैं। दो-तीन बार ऐसा होता है कि लोग आपका नाम नहीं जानते और कहेंगे कि कहीं देखा है। पांच-छह फिल्म के नाम बताओ तो कहेंगे हां, हां.. आप तो वो हैं। कई जगह अगर कैप और चश्मा लगाए होते हैं तो कहेंगे प्लीज कैप उतार दीजिए।

बाकी सब जगह ठीक है, बस परिवार के साथ यात्रा कर रहे हो तो थोड़ी दिक्कत आती है। वो मेरे परिवार का समय होता है। उस समय लोगों को थोड़ा ध्यान रखना चाहिए वरना मैं सबके साथ फोटो खिंचवाता हूं। एक और समस्या होती है कि जब आप कुछ खा रहे हों, तब फोटो खींची जाती है तो खराब लगता है।

यामी : मुझे इस बात से कोई समस्या नहीं है अगर कोई पूछकर तस्वीर ले। मैं हमेशा उनका स्वागत करती हूं। आजकल तो लोग बिना पूछे आपके आगे या पीछे से या छिपकर तस्वीरें खींचने लग जाते है या रिकॉर्डिंग करने लगते हैं, वो उचित नहीं है। आप उन तस्वीरों को इंटरनेट मीडिया पर डाल देते हैं।

उस पर कुछ लोग प्रतिक्रिया भी देने लगते हैं जबकि वह हमारा प्राइवेट मोमेंट होता है। कभी-कभी लगता है न कि पहले कैसे प्रशंसक कलाकारों को खत लिखते थे। कलाकार भी जवाब देते थे। वो चार्म ही कुछ और होता होगा। मुझे लगता है कि कलाकारों को लेकर एक मिस्ट्री (रहस्य) होना भी जरूरी है।

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एयर होस्टेस बनने का कैसा अनुभव रहा?

यामी : सबकाशंसली (अवचेतन रूप में) तो आप वैसे ही सीख रहे होते हैं। आप देखते-सुनते रहते हैं। तो जब इस रोल की बात आई, वाकई में किसी ने मदद की। वो देख रही थी कि बेसिक चीजें सही होनी चाहिए। उसमें काफी मजा आया। इतना ज्यादा कि शूट के बाद जब मैं ट्रैवल कर रही थी तो प्लेन में जब बताते हैं तो मैं कहती थी कि ये तो मुझे भी आता है।

 

एक बार मेरा जोश देखकर यह लोग घबरा गए थे। हम एटीआर प्लेन में कुल्लू जा रहे थे। तब मौसम अच्छा था। मैं हिमाचल प्रदेश से हूं। वहां जाने के लिए मैंने एक ही बार फ्लाइट ली थी। हमने हमेशा गाड़ी या बस से ही ट्रैवल किया है। शरद बेचारे घबरा गए थे।

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शरद : मैं तो क्लास्टोफोबिक (तंग जगह से न निकल पाने का डर) हूं। एक तो छोटा प्लेन, ऊपर से इतनी आवाज धड़ धड़…। जब आप वैली से जाते हैं तो एयर प्रेशर की वजह से कान के पर्दे बंद हो जाते हैं। तो मैंने बस यही कहा कि सही से जमीन पर पहुंचा दो।

परफेक्ट कपल (आदर्श दंपती) की परिभाषा आपके लिए क्या है ?

यामी : परफेक्ट कपल का पूरा आइडिया मुझे कभी समझ नहीं आया। यह पढ़ने या सुनने में ठीक लगता होगा, लेकिन कुछ नहीं होता। मुझे लगता है जब हम बहुत ज्यादा अपेक्षाएं करते हैं वो कहीं न कहीं चीजों को खराब करती हैं। यह मेरा अनुमान हूं। मुझे लगता है कि यह बहुत जरूरी है कि आप जैसे हैं वैसे रहे।

 

वहां पर सामंजस्य के लिए जगह होनी चाहिए। प्यार तो है ही, हमेशा रहेगा, लेकिन दोस्ती होती है, विश्वास होता है। कुछ भी शेयर कर सकते हैं जहां आपको जज किए जाने का डर नहीं होता, जहां लगता है कि कुछ भी हो जाए वो मेरे साथ है। यह रिश्ता होना चाहिए। यह दो परिवारों की भी बात होती है।

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कोई काम ऐसा नहीं है कि यह आपका काम है या मेरा है। यह मुझे नहीं करना, यह मैं कैसे करूं। हमारा इरादा यह है कि एक-दूसरे की चीजों को आसान बनाएं। इस भावना से अपनी जिंदगी को चलाना चाहिए।

शरद : यामी दो साल में ही शादी को काफी कुछ समझने लगी है। मैं कुछ चीजें जोड़ना चाहूंगा। आर्ग्युमेंट एंड एग्रीमेंट (बहस और सहमति) में थोड़ा अंतर होता है। सबसे पहले आपको बहस को भूलकर सहमति बनानी होती है। दूसरा जैसा यामी ने कहा कि दोस्ती बहुत जरूरी है।

क्या होता है न समय के साथ बहुत सारी चीजों को फॉर ग्रांटेड (हल्के में) लेने लगते हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते। आपके पार्टनर की एक जिंदगी है, उसकी वैल्यू आपको ताउम्र करनी ही होगी। भले ही आपकी निजी या प्रोफेशनल जिंदगी में कितने ही उतार या चढ़ाव आएं।

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रिश्ते में एक-दूसरे का सम्मान बहुत जरूरी है और यह दिल से होना चाहिए। आप कुछ समय के लिए दिखावा कर सकते हैं, हमेशा के लिए नहीं।

यामी : अगर कोई मनमुटाव है उसे हल करो।

शरद : हमारे बीच कई बार असहमति होती है, लेकिन हमने नियम बनाया हुआ है कि रात को सोने से पहले खत्म। उसे आगे नहीं बढ़ाना है। दिक्कत वहीं होती है जब आप बात को आगे बढ़ाते हैं। एक दिन, फिर दो दिन, फिर हफ्ते भर बात न करके उसे बढ़ाते जाते हैं। वो मैंने कभी नहीं किया।

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