यूक्रेन से विवाद में रूस के आगे अमेरिका के हौसले पड़ रहे पस्त! जानें- क्‍या यूक्रेन पर न्‍यूक्लियर अटैक करेगा रूस

रूस द्वारा परमाणु मिसाइल का परीक्षण किए जाने के बाद से अमेरिका ने ये संदेह जताया है कि रूस यूक्रेन पर न्‍यक्लियर अटैक कर सकता है। इससे तनाव भी बढ़ गया है। वहीं जानकार इस बारे में कुछ और ही मानते हैं।

 

नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। रूस और यूक्रेन विवाद में अब जानकारों की कही बातें सही साबित होती दिखाई दे रही हैं। एक तरफ जहां पूरी दुनिया के अखबार यूक्रेन पर विद्रोहियों के हमले से पटे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी देश अब तक कोई भी ऐसा कदम उठाते दिखाई नहीं दे रहे हैं, जैसा कि उनकी तरफ से पहले कहा जा रहा था। अब तक भी अमेरिका की तरफ से केवल यही कहा जा रहा है कि रूस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पिछले दिनों रूस की तरफ से परमाणु मिसाइल के परिक्षण के बाद तो यहां तक कहा जा रहा है कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हमला तक कर सकता है। रूस को लेकर कही जा रही ये बातें जानकारों के गले नहीं उतर रही हैं।

जेएनयू के प्रोफेसर एचएस प्रभाकर का कहना है कि रूस न तो पहले और न ही अब इस तरह का कोई कदम उठाएगा, जिससे उसको नुकसान हो। वो ये भी नहीं चाहेगा कि इस तरह के फैसले के बाद दुनिया के उसके पुराने मित्र किसी भी सूरत से उससे छिटक जाएं। इसके अलावा इन जानकारों का मानना ये भी है कि आज का वक्‍त वो नहीं है, जब अमेरिका ने जापान पर दो बार एटम बम गिराकर दुनिया को हिला दिया था। अब वक्‍त पूरी तरह से बदल चुका है। ये कहना भी गलत होगा कि दुनिया एक तीसरे विश्‍व युद्ध की तरफ बढ़ रही है।

आपको बता दें कि तनाव कम करने के मकसद से फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक दिन पहले ही रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। मैक्रों से पहले इटली और जर्मनी के भी नेताओं ने रूस से विवाद को खत्‍म करने के मकसद से बात की है। ये इस बात का सबूत है कि यूरोप के बड़े देश नहीं चाहते हैं कि हालात बेकाबू हों। वो ये भी नहीं चाहते हैं कि अमेरिका चाहे-अनचाहे एकतरफा कोई गलत कदम उठाए। हालांकि, इसकी गुंजाइश न के ही बराबर है। किसी भी तरह की खराब से खराब स्थिति में भी रूस को कम करके आंकना गलत ही होगा। यदि ये मान भी लिया जाए कि रूस के कदमों की वजह से एक बड़ा युद्ध छिड़ता भी है तो ऐसी स्थिति में यूक्रेन को ही इसका सबसे अधिक नुकसान झेलना होगा, रूस को नहीं।

जानकारों ने पहले ही इस बात की आशंका जाहिर कर दी थी कि इस विवाद में अमेरिका चाहकर भी रूस का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा इस विवाद को लेकर रूस के हाथ काफी मजबूत हैं। उसकी मजबूती की वजह यूरोप का रूस पर निर्भर होना है। मौजूदा समय में कोई भी देश अपने को आर्थिक रूप से कमजोर बनाकर अधिक समय तक नहीं रह सकता है। कोरोना महामारी की वजह से पहले ही यूरोप की अर्थव्‍यवस्‍था बेहद खराब हो चुकी है। ऐसे में वो दूसरा कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है।

जानकारों ने ये भी कहा था कि बीजिंग ओलंपिक खत्‍म होने के बाद चीन एक बार फिर से ताइवान पर आक्रामक हो जाएगा और उसके लड़ाकू विमानों द्वारा ताइवान के हवाई सीमा उल्‍लंघन की घटनाएं बढ़ जाएंगी। अब यही होता भी दिखाई दे रहा है। विंटर ओलंपिक की समाप्ति के साथ ही चीन ने ऐसा करना शुरू कर दिया है। रविवार को ही चीन के लड़ाकू विमानों ने ताइवान के एयर डिफेंस जोन में घुसकर अपनी मंशा जाहिर कर दी है।

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