यूपी के सरकारी महकमे में तैनात चौकीदार निकला ‘महाचोर’, अफसरों की नाक के नीचे किया करोड़ों का घोटाला

नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे चौकीदार नितिन राठी ने अफसरों की नाक के नीचे करोड़ों का घोटाला किया। मामले की जानकारी होने पर आरोपित को बर्खास्त कर दिया गया है। आरोपति नितिन राठी को अनुकंपा के आधार पर चौकीदार के पद पर तैनाती मिली थी।

 

नोएडा,  राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे एक ऐसे चौकीदार को बर्खास्त कर दिया गया है, जो भ्रष्टाचार के जरिये करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक बन गया। नोएडा प्राधिकरण में कई सालों तक तैनात रहे चौकीदार नितिन राठी पर आरोप है कि उसने प्‍लाट और फ्लैट आवंटन से संबंधित दस्‍तावेज में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की। नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने सोमवार को करोड़ों का घोटाला करने के आरोप में चौकीदार नितिन राठी को बर्खास्त कर दिया।

अनुकंपा पर मिली थी नौकरी

नितिन राठी को अनुकंपा के आधार पर नोएडा प्राधिकरण में चौकीदार के पद पर तैनाती मिली थी। पिता उदयवीर सिंह राठी की मौत के बाद मिली नौकरी के बाद नितिन राठी के जमकर फर्जीवाड़ा किया और अकूत संपत्ति बना ली। एक मामले में आरोपित नितिन ने फर्जी लेटर पैड पर अलाटमेंट कर 47 लोगों को अपना शिकार बनाया और लाखों रुपये ठग लिए। फर्जीवाड़े के जरिये नितिन ने इन 47 पीड़ितों को प्लाट और फ्लैट का आवंटन किया। इसके बदले में इन पीड़ित लोगों से अवैध तरीके से भारी भरकम राशि वसूली थी।

नोएडा प्राधिकरण में कई साल तक चली विभागीय जांच में प्रकरण की पुष्टि हो चुकी थी, जिसके बाद बृहद दंड का नोटिस जारी कर दिया गया था। प्राधिकरण अधिकारी ने बताया कि ड्यूटी के दौरान कर्मचारी की मौत होने पर उसके किसी एक परिजन को नौकरी देने की व्यवस्था है। चूंकि प्राधिकरण में नितिन राठी के पिता उदयवीर चौकीदार थे, ऐसे में उनकी मौत के बाद वर्ष 2010 में अनुकंपा पर नितिन राठी को नौकरी मिली थी। उसके बाद सेक्टर-21 ए स्थित नोएडा स्टेडियम में खेल प्रकोष्ठ में तैनाती थी।

शुभांकर बासू ने भूखंड आवंटन के संबंध में नितिन राठी पर आरोप लगाया था कि उनसे ढाई लाख रुपये लेकर उनके पक्ष में प्राधिकरण के लेटर पैड पर फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कराकर आवासीय भूखंड संख्या ए-175 सेक्टर-72 को उनके पक्ष में आवंटित किया गया। वहीं 25 लाख 60 हजार 750 रुपये बैंक में जमा कराए गए। इस प्रकरण के अलावा 46 अन्य लोगों को भी नितिन राठी ने सेक्टर-12, 73 और 122 में फर्जी हस्ताक्षर से आवंटन किया था।

 

साल 2015 में प्राधिकरण ने किया था निलंबित

प्रकरण की जांच के बाद जनवरी, 2015 में प्राधिकरण ने नितिन राठी को निलंबित कर कोतवाली सेक्टर-20 में मुकदमा दर्ज कराया। विवेचना अधिकारी ने एक रिपोर्ट न्यायालय में दायर की। इसमें छह नवंबर, 2017 को नितिन राठी पर चार्ज फ्रेम किया गया। इसके बाद आरोप पत्र जारी कर नितिन राठी से जवाब मांगा गया। शिकायतकार्ताओं के प्रकरण को भी सुना गया।

 

शिकायतकर्ताओं ने लिखित बयान में बताया कि राठी ने खोड़ा के ग्रीन इंडिया प्लेस माल में जिविका कंसलटेंट नाम से कार्यालय खोला था, जोकि नोएडा सेवा नियमावली में इंगित प्राविधानों के विरूद्ध था। इसी कंसलटेंट कंपनी की आड़ में राठी ने 47 लोगों से ठगी की। बता दे 47 में से 46 प्रकरण में आवासीय भवन के मद में जमा धनराशि की पुष्टि वित्त विभाग से हो चुकी है। एक प्रकरण में चालान नंबर अंकित न होने से जमा धन का सत्यापन नहीं हो सका।

 

ऐसे खेला ठगी का खेल

साल 2015 से पहले रद प्लाट और लेफ्ट आउट फ्लैट की प्राधिकरण ने आवासीय स्कीम निकाली। तमाम आवेदन पत्र भरने के दौरान चौकीदार लोगों से संपर्क कर रहा था। उनसे कहता था कि रुपये खर्च करो तो वह आवंटन करा सकता है। ड्रा होने पर चौकीदार कहता था कुछ प्लाट और फ्लैट बचाकर रख लिए गए हैं। साथ ही कुछ ऐसे भी प्लाट या फ्लैट होते है, जिनका किसी न किसी कारण से आवंटन निरस्त हो जाता है।

चौकीदार उन्हीं के फर्जी कागजात थमाकर लोगों से रुपये ले लेता था और प्राधिकरण में भी किस्त के रूप में कुछ रकम जमा करा देता था। राठी के जाल में फंसे लोगों की बेचैनी तब बढ़ गई, जब उसका मोबाइल लंबे समय तक स्विच आफ हो गया। पता चला है कि फर्जीवाड़े में फंसाने के लिए नितिन लोगों को अलग-अलग नंबर देता था। पैसा वसूलने के बाद उन्हें बंद कर देता था। शिकायतकर्ताओं ने प्राधिकरण को नितिन के कई मोबाइल नंबर दिए थे।

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