यूपी में अब बिजली चोरी के सभी रास्ते होंगे बंद, पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने की खास तैयारी

जुलाई से प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने का कार्य भी शुरू हो जाएगा। ये मीटर सरकारी कार्यालयों व आवासों के साथ पहले उन क्षेत्रों में लगेंगे जहां बिजली चोरी ज्यादा हो रही है। ऊर्जा निगमों के सभी कार्मिकों व पेंशनर्स के यहां भी जल्द मीटर लगाए जाएंगे।

 

लखनऊ । गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अब बिजली चोरी के सभी रास्ते बंद करने की ठानी है। इसके लिए प्रबंधन कई मोर्चे पर एक साथ काम कर रहा है। ज्यादा लाइन लास वाले क्षेत्रों पर अधिक फोकस किया जाएगा। हर कनेक्शनधारक को मीटर से ही आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। कटिया से चोरी बंद करने के लिए एबीसी (एरियल बंच केबल) का जाल बिछाया जाएगा। बकाए के साथ ही वर्तमान बिल की वसूली और लाइन लास घटाने का वार्षिक और मासिक लक्ष्य तय कर अवर अभियंता से लेकर प्रबंध निदेशक तक को दायित्व सौंपा गया है। इसमें सुस्ती न बरती जाए, इसके लिए प्रमुख सचिव ऊर्जा और पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज प्रतिदिन समीक्षा कर रहे हैं।

दरअसल, भीषण गर्मी में शहरवासियों को 24 घंटे और गांव को 18 घंटे बिजली देने के लिए कारपोरेशन प्रबंधन पर भुगतान का दबाव बढ़ता जा रहा है। चूंकि अभी बिजली आपूर्ति के एवज में वसूली लगभग 2419 करोड़ रुपये प्रतिमाह कम हो रही है, इसलिए कारपोरेशन का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। बिजली उत्पादकों का समय से भुगतान करने के लिए उसके सामने गंभीर वित्तीय संकट है। ऐसे में जरूरत पर भी कारपोरेशन न तो पावर एक्सचेंज की महंगी बिजली खरीदने और न ही कोयले का पेमेंट करने की स्थिति में है। सूबे में विकास की रफ्तार बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में बिजली संकट के स्थायी समाधान पर जोर देते हुए ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधार के निर्देश दिए हैं।

 

प्रमुख सचिव ऊर्जा के साथ ही कारपोरेशन के चेयरमैन का भी दायित्व संभाल रहे देवराज बताते हैं कि ऊर्जा क्षेत्र को सुधारने के लिए सबसे जरूरी बिजली चोरी पर पूरी तरह से रोक लगाना है। अभी लाइनलास (वितरण हानियां) लगभग 20 और एटीएंडसी (तकनीकी व वाणिज्यिक हानियां) 28 प्रतिशत है, जिसे 11 और 16 प्रतिशत तक करने के लिए जेई से लेकर डिस्काम के प्रबंध निदेशक तक का दायित्व तय किया गया है।

देवराज ने बताया कि खासतौर से पूर्वांचल में ही 7.50 लाख से ज्यादा बिना मीटर वाले कनेक्शन हैं जहां 100 दिन में ही सभी में मीटर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। ज्यादा लास वाले क्षेत्रों में एबीसी लगाए जाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।  सभी 11 केवी फीडर के साथ ही अब हर ट्रांसफार्मर का भी एनर्जी आडिट होगी। ऐसे में जहां ज्यादा लास है वहां जरूरी कार्यवाही की जाएगी। इनमें 10 हजार से अधिक के बकाए वाले उपभोक्ताओं से पहले वसूली सुनिश्चित की जाएगी।

 

जून तक घटानी होगी 20 प्रतिशत हानियां : हर एक फीडर पर अप्रैल की हानियों को देखते हुए जून तक उसमें 20 प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य जेई को सौंपा गया है। इस संबंध में कारपोरेशन के एमडी पंकज कुमार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक जिन फीडर की हानियां 50 प्रतिशत से अधिक हैं उनमें 30 जून तक 20 प्रतिशत कमी करनी होगी। लाइन लास 30 से 50 प्रतिशत होने पर 15 और 25 से 30 होने पर 10 प्रतिशत कमी लानी होगी। एसडीओ और अधिशासी अभियंता को प्रतिदिन, मुख्य अभियंता को साप्ताहिक और डिस्काम के निदेशक को 15 दिन में जेई के कार्य की समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं।

 

नंबरों में समझिए कारपोरेशन की हालत

  • 97 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है घाटा
  • 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है कर्ज
  • 21500 करोड़ रुपये से अधिक की हैं देनदारियां
  • 2400 करोड़ रुपये प्रतिमाह घट रहा राजस्व
  • 58 करोड़ प्रतिदिन घट रहा सरकारी मदद के बाद भी।

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