देश तथा प्रदेश में कोरोना संकट के चलते रामजन्मोत्सव के मौके पर गत वर्षोंकी तरह 20 से 25 लाख श्रद्धालु नहीं होंगे पर रामनगरी की उमंग बुधवार को शिखर पर होगी। लगातार दूसरे वर्ष भी रामनवमी की भव्यता पर कोरोना संक्रमण का ग्रहण लग गया है।
अयोध्या । रामनगरी अयोध्या में लगातार दूसरे वर्ष भी रामनवमी की भव्यता पर कोरोना संक्रमण का ग्रहण लग गया है। पांच अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। इसके बाद लग रहा था कि इस बार रामनवमी पर यहां बेहद आकर्षक माहौल होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
रामलला और भाइयों को पहनाया गया सोने का मुकुट: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि प्रांगण मंदिर में स्थापित मंदिर में बुधवार को राम लला को सोने का मुकुट पहनाया गया है। राम नवमी पर राम लला के साथ उनके भाइयों को भी सोने का मुकुट पहनाया गया है। रामनवमी पर आकर्षक तथा डिजाइनर परिधान में चारों भाइयों की मूर्ति को सुबह ही सोने का मुकुट पहनाया गया है।
रामलला का जन्म और रामनगरी का उल्लास…ऐसा वातावरण कि ‘पुर सोभा कुछ बरनि न जाई। भगवान राम के जन्म पर तो यक्ष, गंधर्व और देवता तक साक्षी बने थे। इसके बाद से हर रामनवमी पर लाखों भक्त इस उल्लास के साक्षी बनने को रामनगरी का रुख करते हैं। इस बार कोरोना के चलते भक्तों के कदम ठिठके हैं, लेकिन रामनगरी में ढोल की थाप पर सोहर कहां रुकने वाले। मंदिरों के प्रांगण में भले ही संयम और संकल्प का सूनापन हो, लेकिन घरों के आंगन में ढोल मंजीरे पूरी लय से… लला जन्म सुनी आई। कौशल्या माता देखो बधाई, चुनरी भी देदो मैया, पियरी भी देदो, लंहगा दियो सिलवाई, कौशल्या माता देदो बधाई…जैसे सोहर गुंजाने को तैयार हैं।
लाख श्रद्धालु नहीं होंगे, पर रामनगरी की उमंग बुधवार को शिखर पर: देश तथा प्रदेश में कोरोना संकट के चलते रामजन्मोत्सव के मौके पर गत वर्षोंकी तरह 20 से 25 लाख श्रद्धालु नहीं होंगे, पर रामनगरी की उमंग बुधवार को शिखर पर होगी। एक ओर रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए पांच हजार करोड़ से अधिक समर्पण राशि एकत्र की जा चुकी है। मंदिर की नींव भी भरी जाने लगी है। 161 फीट ऊंचे शिखर, पांच उप शिखर, पांच एकड़ क्षेत्र में विस्तृत प्रस्तावित मंदिर का परकोटा और संपूर्ण 70 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर में वैदिक सिटी के रूप में विस्तृत कल्चरल कैपिटल आफ दी वल्र्ड के साथ अगले तीस माह में रामनगरी भी समुन्नत हो पूरे वैभव से अभिव्यक्त होगी।
रामजन्मोत्सव की छटा इस बार अनूठी: राममंदिर का बहुप्रतीक्षित निर्माण कार्य के प्रारंभ होते ही प्रबल संभावना थी कि रामजन्मोत्सव की छटा इस बार अनूठी होगी। लाखों भक्त इस बार रामलला की नगरी में रामजन्मोत्सव का पुण्यलाभ लेने पधारेंगे, लेकिन संक्रमण ने जो सन्नाटा खींचा है वो सालने वाला है। इसके बावजूद रामनगरी के हर नागरिक के मन में वही उत्साह और उल्लास है जो प्रतिवर्ष होता है।
सरकार की प्राथमिकता में भव्यता: रामजन्मभूमि की भव्यता सरकार की प्राथमिकता में है। प्रत्येक वर्ष दीपोत्सव के माध्यम से अधिकाधिक दीप जलाने का रिकार्ड बनाकर रामनगरी 2018 से ही वैश्विक क्षितिज पर चमक रही है। इस बीच रामनगरी के हिस्से पर्यटन विकास की अनेक बड़ी योजनाएं आती रही हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रीराम एयरपोर्ट के लिए भूमि क्रय किए जाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। लगभग इसी दौर में श्रीराम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाए जाने की तैयारी है। नव्य अयोध्या के तहत रामनगरी में भारतीय संस्कृति से जुड़े दर्जन भर से अधिक देशों तथा देश के सभी प्रांतों के अतिथिगृह, अनके सांस्कृतिक संगठनों के केंद्र, पर्यटकों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक के होटलों से युक्त किए जाने के साथ रामनगरी को सोलर एनर्जी पर पूर्ण निर्भर ग्रीन सिटी के रूप में विकसित किया जाना है।
इस बार श्रीराम को अंत:करण में करें प्रतिष्ठित: रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के शिष्य एवं जाने-माने कथाव्यास आचार्य राधेश्याम के अनुसार कोरोना संकट के बीच राम जन्मोत्सव इस तथ्य का द्योतक है कि लौकिक जगत में उत्सव के पूर्व हम अपने अंत:करण में श्रीराम की अनुभूति और उनकी उपस्थिति प्रतिष्ठित करें। इस जन्मोत्सव को अंतर्जगत में श्रीराम की प्रतिष्ठा के नाम करें और अगले साल जब हम राम मंदिर और रामनगरी की कहीं अधिक तैयारियों के बीच रामनगरी की ओर उन्मुख हों, तो हमारी तैयारियां भी कहीं अधिक पुख्ता हों।
वाराणसी में अष्टभुजी मंदिर में पूजा: वाराणसी में रामनवमी के त्योहार और नवरात्र के आखिरी दिन पर कम संख्या में श्रद्धालुओं ने बनारस के अष्टभुजी मंदिर में पूजा की। इस दौरान एक भक्त ने कहा कि एक व्यक्ति ने कहा कि कोरोना की वजह से अधिक लोग घर में ही पूजा कर रहे हैं। मंदिर में प्रवेश नहीं है। यहां लोग बाहर से ही पूजा और दर्शन करके जा रहे हैं।