सार्वजनिक सम्पत्तियां क्षतिग्रस्त करने वाले यह नहीं जानते कि वे अपना तथा राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुक़सान कर रहे हैं। क्यों कि रेल की बोगियां,ऱोडवेज की बसें तथा अन्य सरकारी उपक्रम जनता द्वारा दिए गये टैक्स से बनाये जाते हैं।
लखनऊ “अनिल मेहता” अग्निपथ मामले को लेकर भारत के तमाम प्रांतों में रेल की बोगियां,फूंकी गईं, रोडवेज की तमाम बसें क्षतिग्रस्त कर दी गईं, और भी तमाम सार्वजनिक सम्पत्तियां क्षतिग्रस्त की गईं, प्रश्न यह उठता है कि उपद्रवियों ने किसका नुकसान किया, उत्तर होगा अपना नुकसान किया। रेलवे की या रोडवेज की बसों से दिहाड़ी कमाने वाले, इन्टरव्यू देने जाने वाले नवयुवक, नवयुवती तथा आपके अपने ही, यात्रा करते हैं।
सार्वजनिक सम्पत्तियां क्षतिग्रस्त करने वाले यह नहीं जानते कि वे अपना तथा राष्ट्रीय सम्पत्ति का नुक़सान कर रहे हैं। क्यों कि रेल की बोगियां,ऱोडवेज की बसें तथा अन्य सरकारी उपक्रम जनता द्वारा दिए गये टैक्स से बनाये जाते हैं। आपको किसी सरकारी योजना का विरोध करना है बिल्कुल करिये परन्तु सरकारी सम्पत्ति का नुक़सान करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। सरकार विरोधी राजनीतिक दल युवाओं को भड़का कर किनारे बैठ जाते हैं । शिकार बनते हैं प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ंत होती है। मुकदमा दर्ज होता है। मुकदमा लड़ते हैं क्यों? । सरकारी सम्पत्ति को नुक़सान पहुंचाना अपने आप को नुक़सान पहुंचाना है।