लंबे समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क से बढ़ जाता है कोविड-19 का खतरा, जानिए और क्या कहता है यह शोध

यह संक्रमण दर में पांच प्रतिशत की वृद्धि से संबंधित है। उत्तरी इटली के एक शहर के बाशिंदों पर हुए अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण दर में पांच फीसद इजाफा हर साल प्रति एक लाख लोगों में 294 अतिरिक्त मामलों के बराबर है।

 

वाशिंगटन,  विज्ञानियों ने एक नए अध्ययन में पता लगाया है कि लंबे समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहने से कोविड-19 का खतरा बढ़ जाता है। यह अध्ययन ‘अकुपेशनल एंड एनवायरमेंटल मेडिसिन’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

मामला पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) से जुड़ा हुआ है, जिसमें हर साल औसतन एक माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का इजाफा हो रहा है। यह संक्रमण दर में पांच प्रतिशत की वृद्धि से संबंधित है। उत्तरी इटली के एक शहर के बाशिंदों पर हुए अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण दर में पांच फीसद इजाफा हर साल प्रति एक लाख लोगों में 294 अतिरिक्त मामलों के बराबर है।

सांस व दिल संबंधी बीमारी का बढ़ जाता है खतरा

शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके कारणों व प्रभाव की पुष्टि के लिए आगे और शोध की जरूरत है। अध्ययन निष्कर्ष प्रदूषण में कमी लाने के प्रयासों पर बल देता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहने से लगातार सूजन व प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने की समस्या आती है और इसके कारण सांस व दिल संबंधी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। साफ है कि इन परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण का खतरा भी अधिक हो जाता है।

 महामारी की शुरूआत मार्च 2021 से किया गया अध्ययन

शोधकर्ताओं का कहना है कि हाल के शोध ने वायु प्रदूषण को कोरोना संक्रमण के लिए एक जोखिम कारक के रूप में शामिल किया है, लेकिन अध्ययन की खामियां और केवल 2020 के मध्य तक डेटा कैप्चर ने निष्कर्षों को सीमित कर दिया है। इन मुद्दों को हल करने के लिए उन्होंने लोम्बार्डी के आठवें सबसे बड़े शहर वारेस के निवासियों के बीच महामारी की शुरुआत से मार्च 2021 तक वायु प्रदूषकों और कोरोना संक्रमण के पैटर्न के दीर्घकालिक जोखिम को देखा।

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