मां भवानी के नौ स्वरूपों के पूजन के पर्व नवरात्र पर भी कोराेना का ग्रहण लगने वाला है। मंदिरों में जहां कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन के अनुरूप सार्वजनिक पूजन होता तो दुर्गा पूजा पंडाल भी कम नजर आएंगे।
लखनऊ, मां भवानी के नौ स्वरूपों के पूजन के पर्व नवरात्र पर भी कोराेना का ग्रहण लगने वाला है। मंदिरों में जहां कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन के अनुरूप सार्वजनिक पूजन होता तो दुर्गा पूजा पंडाल भी कम नजर आएंगे। राजधानी के सबसे पुरानी बंगाली क्लब की दुर्गा पूजा इस बार घट पूजन के साथ सीमित लोगों की मौजूदगी में होगी। शनिवार को इसे लेकर पदाधिकारियों की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आशियाना में भी घट पूजन के साथ दो दिन पूजन की तैयारी की जा रही है। बादशाहनगर, विकासनगर, गोमतीनगर, कृष्णानगर, आलमबाग, आनंदनगर, चारबाग, इंदिरानगर व भूतनाथ में भी घट पूजन करने पर मंथन चल रहा है। समिति के पदाधिकारी सात अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र की नई गाइड लाइन का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।
बंगाली क्लब के अध्यक्ष अरुण बनर्जी ने बताया कि 106 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन तो किया जाएगा, लेकिन प्रतिमा की निर्माण क्लब में होगा कि नहीं इसकी घोषणा शनिवार को होने वाली बैठक के बाद की जाएगी। नई गाइड लाइन आएगी उसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल क्लब के लोग शारीरिक दूरी के साथ घट पूजन की तैयारी में लगे हैं। आशियाना दुर्गा पूजा कमेटी के बी घोष ने बताया कि करोना संक्रमण के चलते इस बार खजाना मार्केट के पास मंदिर में घट स्थापना हाेगी और दो दिन पूजा करके समापन कर दिया जाएगा। बादशाहनगर दुर्गा पूजा कमेटी की वरिष्ठ सदस्य प्रिया सिन्हा ने बताया कि छोटे स्तर पर आयोजन होगा। फिलहाल छोटी प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दिया गया है। कैंट दुर्गा पूजा कमेटी के प्रवक्ता निहार डे ने बताया कि नई गाइड लाइन के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। प्रतिमा छोटी होगी। सात अक्टूबर से नवरात्र शुरू होगी। इसके पांचवें दिन आंनद मेला के साथ बंगाली समाज ढाक की धुन पर मां भवानी का गुणगान शुरू करते हैं। दशमी को सिंदूर खेला के साथ विसर्जन होता है।
मूर्तिकारों पड़ा कोरोना का असर, अभी कम मिला आर्डरः पंडाल बनाने से लेकर प्रतिमा निर्माण करने वाले कारीगरों पर कोरोना का असर पड़ने लगा है । नवरात्र से तीन महीने पहले से ही प्रतिमाएं बनाने का ऑर्डर मिलने लगता है, लेकिन इस बार अभी इंतजार है। रवींद्रपल्ली में दशकों से प्रतिमा का निर्माण कर रहे सुजीत कुमार ने बताया कि अभी तक मात्र एक दर्जन प्रतिमाओं का ऑर्डर मिला है जबकि हर सल 50 से अधिक प्रतिमाओं का ऑर्डर मिलता है। बाहर के जिलों से भी ऑर्डर आते थे, लेकिन इस बार अभी नहीं आया। पहले से बनी प्रतिमाओं को संवार रहे हैं। काली मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पूरी तरह से इको फ्रेंडली होंगी। रेडीमेड प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं, कोई लेेने आएगा कि नहीं, इस पर असमंजस है।