लखनऊ ; लखनऊ में पक्का पुल अंग्रेजों के समय बना 109 साल पुराना पक्का पुल कितना मजबूत है। इसको लेकर अलग-अगल चार तकनीक से जांच की जा रही है। इसकी रिपोर्ट आने में तो 10 दिन लगेंगे मगर अभी जो स्थिति है उसमें पुल को जांच रिपोर्ट आने के बाद भारी वाहनों के लिए बंद किया जा सकता है। पुल कितना वजन सह सकता है उसकी जांच को लेकर शुक्रवार को पुल पर 30-30 कुंतल मलवे से लदे चार ट्रक 24 घंटे के लिए खड़े कर दिए गए हैं। इनके जरिए यह जांच की जा रही कि इससे पुल पर कितना दबाव पड़ रहा है। यह जांचने के लिए एक मशीन भी टीम के साथ लगी है। गोमती नदी पर बना पुराने लखनऊ का पक्का पुल कितना मजबूत हैं इसकी जांच का काम फरीदाबाद की कंपनी श्रीबालाजी टेस्ट हाउस कर रही है। जांच पर अभी करीब 20 लाख रुपए के खर्च का अनुमान है जो बढ़ भी सकता है।
जांच में टीम में शामिल एक्सपर्ट कमलेश उपाध्याय ने बताया कि पुल की मजबूती जांच चार अलग-अलग तकनीक से की जा रही है। जिसमें लोड टेस्ट, कोर टेस्ट, कैपो टेस्ट और यूपीएवी तकनीक शामिल है। इन चारों तकनीक के जरिए पुल की हर तरह से मजबूत जांच हो जाएगी। जांच टीम के मुखिया डीएन तिवारी का कहना है कि लोड टेस्ट के लिए 30-30 कुंतल मलवे से लदे चार ट्रैक पुल के ऊपर खड़े किए गए हैं। यह 24 घंटे तक खड़े रहेंगे। इस दौरान पुल पर कितना दबाव पड़ता है। यह जांच के लिए पुल के नीचे तीन प्रिज्म लगाए गए हैं। जिन के जरिए एक मशीनें से पुल पर पड़ने वाला दबाव का रिकार्ड किया जा रहा है। पुल में प्रयोग की गई निर्माण सामग्री अब किसी हालत में है इसकी भी जांच की जा रही है। नमूना लिया गया है। जिसकी कंपनी और आईआईटी रुड़की की लैब में जांच कराई जाएगी। उसके बाद ही यह तय होगा कि पुल पर किस तरह के वाहन चलेंगे या पुल की मरम्मत के लिए क्या काम करना होगा। निजी कंपनी के अलावा लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता मनीष वर्मा और सहायक अभियंता ने एके सिंह ने मौके का दौरा किया। जांच टीम से बात की। यह जाना कि जांच के लिए अभी और क्या काम होने हैं।
पुल बचाना है तो बंद करना होगा भारी ट्रैफिक
लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता मनीष वर्मा का कहना है कि पुल को अभी जर्जर नहीं कर कहते है। जांच के बाद यह तय होगा कि मरम्मत के लिए क्या कदम उठाने होंगे, लेकिन यह तय है कि यदि ऐतिहासिक पुल को बचाना है तो इस पर भारी वाहनों का आवागमन बंद करना होगा। पुल 100 साल से अधिक पुराना हो चुका है। जांच को लेकर काम चल रहा है उसकी रिपोर्ट भी आने के बाद यह तय किया जाएगा कि पुल पर किस तरह का ट्रैफिक चलेगा।
लोड टेस्ट- जांच टीम के एक्सपर्ट ने बताया कि इसमें पुल के ऊपर लोड रखकर मजबूत जाती है। जैसे यहां पर चार 120 कुंतल भार वाले चार ट्रक खड़े कर जांच की जा रही है।
कोर टेस्ट- इसमें पुल ऊपर रोड से ग्रांइडर से होल किया गया। इसमें से जो निर्माण सामग्री निकली है। इसकी जांच की जाएगी कि यह अभी तक कितनी अच्छी है। कैपो टेस्ट- इसमें पुल के नीचे की साइड में दीवार से होल काटकर देखा जाता है कि साइड की ओर पुल कितना मजबूत है
यूपीवी टेस्ट- पुल की मजबूती को जांच के लिए यूपीवी (अल्ट्रासोनिक पल्स बेलोसिटी) तकनीक का प्रयोग होगा। इसमें अल्ट्रोसोनिक तरंगे पुल की सतह पर डाली जाएंगी। जिससे यह पता किया पुल के अंदर कई पर कोई गैप तो नहीं है।
जांच का काम रविवार तक पूरा हो पाएगा। उसके बाद ही पुल पर ट्रैपिक शुरू हो पाएगा। जांच रिपोर्ट आने के बाद यह पता चलेगा कि पुल कितना मजबूत है और उस पर किस तरह का ट्रैफिक चलाया जाएगा। वैसे पुल जितना पुराना हो गया है उसको देखते हुए इस ऐतिहासिक पुल को बचाने केलिए भारी यातायात तो बंद करना ही पड़ेगा। जांच पर करीब 20 लाख रुपए का खर्च आ रहा है। यदि जांच का दायरा और बढ़ा तो यह बढ़ भी सकता है।
– मनीष वर्मा, अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड