इंदिरानगर निवासी छोटेलाल चौरसिया की मौत कोरोना से हुई थी। उनका इलाज केजीएमयू में चल रहा था। केजीएमयू की तरफ से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से उनकी मौत का जिक्र है लेकिन अधिकृत माने जाने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत के कारण का कॉलम ही नहीं था।
लखनऊ । इंदिरानगर निवासी छोटेलाल चौरसिया की मौत कोरोना से हुई थी। उनका इलाज किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में चल रहा था। केजीएमयू की तरफ से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से उनकी मौत का जिक्र है, लेकिन सरकारी तौर पर अधिकृत माने जाने वाले जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार के मृत्यु प्रमाण पत्र को जब केजीएमयू ने जारी किया तो मौत के कारण का कॉलम ही नहीं था।
नगर निगम कर्मचारी कैसर रजा की पत्नी इशरत रिजवी की मौत भी कोरोना से हुई थी। एरा अस्पताल से मिले मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण कोरोना संक्रमण लिखा था, लेकिन जब नगर निगम से जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार का प्रमाण पत्र बनवाया तो उसमें मौत के कारण का उल्लेख ही नहीं था।
लोगों को हो रही समस्याः ऐसे में दो अलग-अलग प्रमाण पत्र हैं। कानूनी मान्यता जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार की तरफ से जारी जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र को ही मिली है। पहले यह प्रमाण पत्र नगर निगम की तरफ से जारी होता था, लेकिन बाद में सरकारी चिकित्सालयों के अधीक्षकों को भी जन्म-मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रार का अधिकार दे दिया गया था। लिहाजा, अब मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम के साथ ही इन चिकित्सालयों से भी जारी हो रहे हैं।
डेढ़ दशक से चली आ रही समस्याः करीब डेढ़ दशक से मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु के कारण का कॉलम नहीं होता। इसे लेकर अक्सर विवाद भी होता रहा है। अब कोरोना से हुई मौतों ने जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार की तरफ से जारी होने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र की इस खामी को भी उजागर कर दिया है।
प्रक्रिया आसान बनाने पर जोरः कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से मौत का जिक्र न होने पर सुप्रीम कोर्ट को को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है। कोर्ट ने चार दिन पूर्व कोरोना संक्रमण से मरने वालों को मुआवजे के अधिकार पर सहमति जताते हुए यह टिप्पणी भी की कि मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। इसे सरल बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने भी कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में स्पष्ट तौर पर कारण में कोरोना से मौत दर्ज किया जाए, जिससे पीडि़त परिवार को सरकार की तरफ घोषित योजना का लाभ मिल सके और कोई दिक्कत न हो। कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर किसी की मौत कोरोना से हुई है या फिर कोरोना से किसी अन्य तरह की दिक्कत से मौत हुई है तो वह भी मृत्यु प्रमाण पत्र में स्पष्ट रूप से दर्ज होना चाहिए।
मौत का कारण न होने का होता रहा है विरोधः मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण न लिखे जाने का मुद्दा पहले भी उठता रहा है और इसे लेकर नगर निगम में आए दिन विवाद होता रहता है। इस बार कोरोना से हुई मौतों से यह मामला अधिक चर्चा में आ गया है। नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारी शशि कुमार मिश्र कहते हैं कि पहले मैनुअल के अनुसार बनने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत के कारण का उल्लेख होता था। साथ ही एक रजिस्टर में भी मौत का कारण दर्ज होता था। लेकिन, डेढ़ दशक पहले जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार के नए निर्देशों से ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी होने के साथ ही प्रमाण पत्र के कॉलम से मौत का कारण हटा दिया गया है। ऐसा किस कारण किया गया था? यह सवाल हर कोई जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार कार्यालय से पूछ रहा है, लेकिन हर किसी को अपने परिचित का मृत्यु प्रमाण पत्र मौत के कारण का उल्लेख हुए बिना ही ले जाना पड़ रहा है।
सरकारी मृत्यु प्रमाण पत्र में बस इतना होता है जिक्रः मृतक का नाम, आधार नंबर, मृत्यु की तिथि, मृतक की उम्र, माता का नाम और आधार नंबर, मृत्यु के समय का पता, पति या पत्नी या फिर माता-पिता का नाम और आधार नंबर।
जन्म-मृत्यु पंजीकरण महा रजिस्ट्रार की तरफ से बनाए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना का जिक्र नहीं है। इस प्रमाण पत्र के दूसरे प्रपत्र में कुछ बीमारियों का जिक्र है। अभी कोई ऐसा निर्देश नहीं मिला है, जिससे कोरोना से मौत को दर्ज किया जाए। -डा. एसके रावत, नगर स्वास्थ्य अधिकारी