लखीमपुर खीरी हिंसा के दूसरे मुकदमे में सात आरोपितों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल, तीन को क्लीन चिट

 तिकुनिया केस के दूसरे मुकदमे में सात आरोपितों के खिलाफ शुक्रवार को सीजेएम चिंता राम की अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। इस केस में दौरान विवेचना सुबूत न मिलने पर तीन लोगों को क्लीन चिट दे दी गई। पक्ष में अंतिम आख्या भेजी गई।

 

लखीमपुर,  उत्तर प्रदेश को बेहद चर्चा में लाने वाले लखीमपुर खीरी की तिकुनियां हिंसा के मामले में दर्ज क्रास एफआइआर के सात आरोपितों में से तीन को क्लीन चिट मिल गई है। मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा मोनू के करीबी ने यह केस दर्ज कराया था। तिकुनिया केस के दूसरे मुकदमे में सात आरोपितों के खिलाफ शुक्रवार को सीजेएम चिंता राम की अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। इस केस में दौरान विवेचना सुबूत न मिलने पर तीन लोगों को क्लीन चिट दे दी गई। उनके पक्ष में अंतिम आख्या भेजी गई है। इन तीनों की रिहाई के लिए परवाना भी जारी कर दिया गया, जिसके बाद देर शाम उनकी रिहाई हो गई। विवेचना अभी जारी है।

कोर्ट में शुक्रवार को इस केस के श्याम कुमार पाल 1300 पन्नों की चार्जशीट बाक्स में लेकर सीजेएम कोर्ट में दाखिल हुए। जिसे सीजेएम कोर्ट में दाखिल कर दिया गया है। इस मामले में अभी तक सात लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इस आरोपपत्र में तीन आरोपितों गुरुविंदर सिंह, कमलजीत सिंह व गुरुप्रीत सिंह के खिलाफ बलवा, चोट पहुंचाने के साथ आगजनी व हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जबकि विचित्र सिंह के खिलाफ नुकसान व आगजनी आदि का आरोप लगाया गया है। अवतार सिंह, रंजीत सिंह व कवलजीत उर्फ सोनू के पक्ष में अंतिम आख्या दाखिल की गई। इस केस के विवेचक श्याम कुमार पाल ने प्रभारी सीजेएम मोना सिंह की अदालत में अर्जी देकर तीन आरोपितों को रिहा करने की याचना की। प्रभारी सीजेएम ने तीन लोगों अवतार सिंह, रंजीत सिंह व कवलजीत सिंह उर्फ सोनू की रिहाई के आदेश दिए।

बीती तीन अक्टूबर थाना तिकुनिया क्षेत्र में हिंसा के दौरान तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की भी हत्या हुई थी। इस मामले में सभासद सुमित जायसवाल की तहरीर पर थाना तिकुनिया में 20-25 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

महत्वपूर्ण दस्तावेजों की नकल न देने की अपील

खीरी हिंसा के दूसरे मुकदमे के विवेचक श्याम कुमार पाल ने आरोप पत्र दाखिल करने के बाद रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी देकर गुहार लगाई है कि विवेचना के दौरान संकलित मौखिक दस्तावेजी व वैज्ञानिक साक्ष्यों पर अभियोजन को अपना केस साबित करना है। इसलिए लोक व न्याय हित में केस डायरी का प्रकट किया जाना व कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की नकल जारी करना उचित नहीं है। इनकी नकलें न जारी करने की याचना की है।

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