राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। अब वे जेल से बाहर आ जाएंगे। लालू की जमानत याचिका पर शनिवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने उन्हें बड़ी राहत दी है।
रांची, झारखंड हाई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को जमानत प्रदान कर दी है। लालू अब जेल से बाहर आ जाएंगे। उच्च न्यायालय ने लालू की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद सीबीआइ की सारी दलीलें खारिज कर दीं। अदालत ने आधी सजा पूरी करने के आधार पर लालू प्रसाद यादव को जमानत की सुविधा प्रदान की है। जेल से बाहर आने के लिए लालू को 100000 रुपये के निजी मुचलके का बांड निचली अदालत में भरना होगा। हाई कोर्ट ने लालू यादव को सशर्त जमानत दी है। बिना अनुमति के लालू प्रसाद यादव देश से बाहर नहीं जा पाएंगे और ना ही अपना पता-ठिकाना और मोबाइल नंबर बदलेंगे। हाई कोर्ट ने इन्हीं शर्तों को लालू को जमानत देने के दौरान लगाई है।
झारखंड हाई कोर्ट में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। यह मामला जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सुना गया। चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की जमानत पर सुनवाई के क्रम में लालू की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बलने दलीलें पेश कीं। जबकि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने लालू की जमानत अर्जी का विरोध किया। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी लेकिन हाईकोर्ट के परिसर को सैनिटाइज करने की वजह से जमानत पर सुनवाई टल गई थी। लालू प्रसाद यादव ने दुमका वाले मामले आधी सजा पूरी करने का हवाला देते हुए जमानत की गुहार लगाई थी।
आज अदालत में सीबीआई की कोई दलीलें काम नहीं आई। इससे पहले सीबीआइ ने कहा था कि लालू यादव को रांची की सीबीआई स्पेशल कोर्ट से कुल 14 साल की सजा मिली है। ऐसे में उनको जमानत पर सुनवाई के कोई औचित्य नहीं है। हालांकि लालू के अधिवक्ता देवर्षि मंडल का मानना था कि झारखंड हाई कोर्ट इस मामले में 7 साल की आधी सजा मानते हुए जमानत पर सुनवाई कर रही है। क्योंकि 19 फरवरी को जमानत खारिज करने के दौरान अदालत ने माना था कि सजा की आधी अवधि पूरा करने में 1 माह 17 दिन कम है। अगर लालू प्रसाद यादव को आज जमानत मिलती है तो वह जेल से बाहर निकल जाएंगे।
लालू को मिली जमानत
चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए आज अहम दिन साबित हुआ। लंबे समय जेल में बिताने के बाद अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। झारखंड हाई कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर शनिवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने बेल दे दिया। लालू अब अदालत से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ जाएंगे। लालू परिवार, लालू समर्थकों और राजद के नेता-कार्यकर्ता अपने चहेते की जमानत को लेकर जश्न मना रहे हैं।
जमानत के रास्ते में टांग अड़ाने को खड़ी रही सीबीआइ
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने पिता लालू यादव की जेल से रिहाई के लिए पहले ही बाबा बैद्यनाथ धाम और कामाख्या मंदिर में मत्था टेक चुके हैं, वहीं लालू की बेटी रोहिणी पिता की सलामती और उनके जेल से बाहर आने के लिए रोजा रख रही हैं। लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी पूजा-पाठ में रमे हैं। इधर फिर से जमानत की मांग लेकर झारखंड हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे लालू का रास्ता रोकने के लिए सीबीआइ पूरी मुस्तैदी खड़ी रही। लेकिन लालू परिवार का पूजा-पाठ फलीभूत हो गया।
सीबीआइ ने जमानत याचिका के औचित्य पर उठाया सवाल
केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआइ ने अबकी बार राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। और झारखंड हाई कोर्ट में सीधे-सीधे लालू की 14 साल की सजा के मामले को आगे कर दिया। सीबीआइ ने लालू के वकील कपिल सिब्बल को एक बार फिर अपने नए दांव से हैरान कर दिया था। हालांकि लालू के पक्ष में अच्छी बात यह रही कि हाई कोर्ट ने पिछली बार लालू की सजा सात साल की मानते हुए जमानत याचिका पर सुनवाई की थी। इस स्टैंड पर ही अदालत ने आज भी सुनवाई की। बहरहाल लालू को जमानत देने के मामले में सीबीआइ के पुरजोर विरोध के बाद भी उच्च न्यायालय ने लालू को बेल पर छोड़ने का आदेश दे दिया।
तीन मामलों में पहले ही मिल चुकी है जमानत
चारा घोटाले के कुल चार मामलों में जेल की सजा काट रहे लालू यादव को तीन मामलों में पहले ही हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। चाईबासा के दो मामले और देवघर के एक मामले के बाद आज दुमका कोषागार के मामले में लालू यादव अदालत से जमानत मांग रहे हैं। जबकि चारा घोटाला का सबसे बड़ा और पांचवां मामला डोरंडा कोषागार का है, जिस पर रांची की विशेष सीबीआइ अदालत में सुनवाई हो रही है। इस केस में भी लालू के खिलाफ फैसला आ सकता है।
लालू की ओर से बहस कर रहे कपिल सिब्बल ने लगाए हैं संगीन आरोप
लालू प्रसाद यादव की ओर से झारखंड हाई कोर्ट में उनका पक्ष रख रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सीबीआइ पर लालू को जेल से बाहर नहीं निकलने देने का संगीन आरोप लगाया है। सिब्बल कहते हैं कि सीबीआइ लालू का रास्ता रोकने के लिए हाई कोर्ट की ओर से सात साल सजा मानकर की जा रही सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट से स्थगन आदेश लाने की तैयारी में है।
दुमका कोषागार मामले में लालू को मिली है 14 साल की सजा
तर्क यह है कि रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत ने लालू यादव को कुल 14 साल की सजा सुनाई है। दो धाराओं में सात-सात साल की सजा कोर्ट के आदेश में स्पष्ट लिखा गया है, ऐसे में निचली अदालत को दरकिनार कर लालू को जमानत देने के लिए उनकी सजा 14 साल से कम कर सात साल कैसे की जा सकती है। संभव है सीबीआइ इस मामले में नया खेल करने की तैयारी में है। आगे सीबीआइ का दावा अगर सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया, तो लालू की जमानत का पूरा मामला अगले तीन-चार साल के लिए लटक सकता है। सीबीआइ का कहना है कि निचली कोर्ट के आदेश के बावजूद लालू अपनी सजा सात साल ही बता रहे हैं, जो सरासर गलत है।
एक बार रद हो चुकी है जमानत याचिका, फिर से हाई कोर्ट की शरण में लालू
इससे पहले झारखंड हाई कोर्ट में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका एक बार रद हो चुकी है। उस समय लालू यादव ने दावा किया था कि दुमका मामले में मिली सात साल सजा की आधी सजा अवधि जेल में बिता ली है। लेकिन सीबीआइ ने उनकी ज्यूडिशियल कस्टडी की तारीख के दस्तावेज दिखाते हुए उनकी जमानत पर विराम लगा दिया था। उस समय लालू के वकील कपिल सिब्बल के दावे को झूठा साबित करते हुए एजेंसी ने लालू की जमानत याचिका ही खारिज करवा दी, तब सिब्बल कोर्ट से 2 माह बाद की तारीख मांगते रह गए थे। बहरहाल लालू प्रसाद एक बार फिर से जमानत की गुहार लेकर हाई कोर्ट में पहुंचे हैं।