आईकाओ ने कहा है कि इससे विमान सेवा कंपनियों को 370 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। साथ ही हवाई अड्डा संचालकों को 115 अरब डॉलर और एयर नेविगेशन सेवा देनी वाली एजेंसियों को 13 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू विमानन सेवाओं की तुलना में अंतरार्ष्ट्रीय सेवाएं महामारी से अधिक प्रभावित हुई हैं। घरेलू रूटों पर यात्रियों की संख्या में 50 फीसद और अंतरार्ष्ट्रीय मार्गों पर 74 फीसद की गिरावट देखी गई है।
भारत में यात्रियों की संख्या में ज्यादा बड़ी गिरावट
भारत के आंकड़े देखें तो वैश्विक औसत की तुलना में यहां हवाई यात्रियों की संख्या में ज्यादा बड़ी गिरावट आई है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल घरेलू रूटों पर छह करोड़ 30 लाख 11 हजार यात्रियों ने हवाई सफर किया जो वर्ष 2019 के मुकाबले 56.29 फीसद कम है। आईकाओ के अनुसार, पिछले साल जनवरी से ही विमानन क्षेत्र पर महामारी का असर दिखने लगा था जब उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने का क्रम शुरू हो गया था, हालाँकि उस समय ऐसा करने वाले देशों की संख्या काफी कम थी। वायरस का संक्रमण फैलने के साथ ही प्रतिबंध भी बढ़ते गये और मार्च के अंत तक उड़ानें लगभग पूरी तरह बंद हो गईं।
अप्रैल तक 92 प्रतिशत घट गए यात्री
रिपोर्ट में कहा गया है “दुनिया भर में बड़े पैमाने पर लॉकडाउन, सीमाबंदी और यात्रा प्रतिबंधों के कारण अप्रैल तक हवाई यात्रियों की संख्या में 92 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। घरेलू यात्रियों की संख्या 87 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 98 प्रतिशत घट गई थी। इसके बाद धीरे-धीरे सुधार आना शुरू हुआ।” रिपोर्ट के अनुसार, चीन और रूस में घरेलू यात्रियों की संख्या दुबारा लगभग कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच चुकी है।
पिछले साल 120 अरब डॉलर का नुकसान
विमान सेवा कंपनियों को सबसे अधिक नुकसान एशिया-प्रशांत क्षेत्र में हुआ है, जिसमें भारत भी शामिल है। आईकाओ का अनुमान है कि इस क्षेत्र में एयरलाइंस ने पिछले साल 120 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यूरोप में उन्हें 100 अरब डॉलर और उत्तरी अमेरिका में 88 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इसके बाद लातिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों में 26 अरब डॉलर, पश्चिम एशिया में 22 अरब डॉलर और अफ्रीका में 14 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है।