बाइडन प्रशासन ने सत्ता संभालने के बाद सातवें दिन एच1बी वर्कर्स के जीवनसाथी के लिए बड़ी राहत प्रदान किया है। एच1बी वीजाधारकों के जीवनसाथी के अमेरिका में काम करने की अनुमति मिल गई है। इसके साथ बाइडन प्रशासन ने अपने पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के फैसले का उलट दिया है।
ट्रंप सरकार ने यह कहते हुए इस कदम को उचित ठहराया था कि यह देशहित में है। यह अमेरिका के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसका मकसद ज्यादातर विदेशी श्रमिकों को अमेरिका से बाहर रखना था। एच1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को एच-4 वीजा के तहत अमेरिका में काम करने की अनुमति ओबामा प्रशासन द्वारा प्रदान की गई थी। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने कथित तौर पर एक एजेंडे के तहत इसे समाप्त करने की कोशिश की।
बता दें कि एच1बी वीजा धारकों के जीवनसाथियों को जारी किया जाता है। वीजाधारकों में अधिकतर उच्च कौशल वाली भारतीय महिलाएं शामिल हैं। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाएं (यूएससीआईएस) विभाग द्वारा एच-4 वीजा, एच-1बी वीजा धारकों के परिवार के सदस्यों (जीवन साथी और 21 साल से कम उम्र के बच्चों) के लिए जारी किया जाता है। एच-1बी वीजाधारकों में अधिकतर भारतीय आईटी पेशेवर है।
आमतौर पर उन लोगों को जारी किया जाता है, जो रोजगार के आधार पर स्थायी निवासी का दर्जा हासिल करना चाहते हैं। बाइडन प्रशासन के इस अहम फैसले से एच1बी वीजाधारक कर्मचारियों को एच-4 वीजाधारक जीवनसाथियों को काम जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी है।
अमेरिका में 60 सांसदों के एक समूह ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन से वीजा के संबंध में पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन की एक नीति को बदलने का अनुरोध किया था। सांसदों ने एच-4 वीजा प्राप्त लोगों के दस्तावेज की वैधता की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। उस वक्त उम्मीद की जा रही थी बाइडन एच-1बी सहित अन्य उच्च कौशल वीजा की सीमा बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न देशों के लिए रोजगार आधारित वीजा के कोटा को समाप्त कर सकते हैं। इन दोनों कदमों से हजारों भारतीय पेशेवरों को लाभ होगा। ट्रंप प्रशासन की कुछ आव्रजन नीतियों से भारतीय पेशेवर बुरी तरह प्रभावित हुए थे।