व्यापारी के शरीर पर लाठियों के दो दर्जन निशान, शव अस्पताल में छोड़कर भाग गई पुलिस

एक सप्ताह पहले कानपुर देहात से व्यापारी को पुलिस द्वारा जबरन उठाने और मारपीट कर हत्या करने के मामले में नया अपडेट आया है। परिवार की तहरीर पर शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया जो पुलिस की बरबरता को बयां कर रही है।

 

कानपुर :  कानपुर देहात के व्यापारी बलवंत सिंह के साथ रनियां थाने में पुलिस ने जो बर्बरता की, उसकी कहानी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बयां कर रही है, जिसमें पता चला है कि उसे जमकर पीटा गया। पूरे शरीर पर करीब दो दर्जन से अधिक चोटें मिली हैं। जगह-जगह नीले और काले निशान पड़े मिले हैं। बवाल की आशंका के चलते कानपुर देहात के डेरापुर, रनियां, अकबरपुर, शिवली, मंगलपुर और मूसानगर के साथ ही स्वरूप नगर, नजीराबाद और फजलगंज थाने का फोर्स मौजूद रहा।

 

पोस्टमार्टम के बाद शव को कड़ी सुरक्षा में घर भेजा गया। स्वजन की मांग पर बलवंत के शव का पोस्टमार्टम कानपुर में कराया गया। जिलाधिकारी के आदेश पर देर रात सीएमओ ने तीन डाक्टरों का पैनल गठित किया, जिसमें पोस्टमार्टम प्रभारी डॉ. नवनीत चौधरी के निर्देशन में सरसौल सीएचसी के दीपेंद्र उत्तम व घाटमपुर सीएचसी के डा. देवेंद्र सिंह राजपूत शामिल रहे। पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई, जिसमें साफ हुआ है कि पुलिस की पिटाई से ही बलवंत की मौत हुई है।

दरअसल, शिवली में एक सप्ताह पहले सर्राफ से लूट के मामले में सोमवार को पुलिस पूछताछ के लिए उसके व्यापारी भतीजे को हिरासत में लेकर रनियां थाने ले गई, जहां देर रात अचानक उसकी हालत बिगड़ गई। जिला अस्पताल में उसे मृत घोषित किए जाते ही पुलिसकर्मी भाग गए। मंगलवार सुबह स्वजन ने पुलिस की पिटाई से मौत का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। व्यापारी के कूल्हे के नीचे चोट के निशान मिले हैं।

 

परिवार का आरोप जबरन उठा ले गई पुलिसपोस्टमार्टम के दौरान डाक्टरों को शरीर पर करीब दो दर्जन से अधिक चोटें मिली हैं। मृतक के पूरे शरीर पर जगह-जगह नीले और कालेपन के निशान मिले हैं। जो पुलिस की बर्बरता को बयां कर रहे हैं। मारपीट की सभी चोटें लाठी और डंडे की हैं। इस मामले में मृतक के चाचा अंगद सिंह ने तहरीर में बताया कि बलवंत रनियां मिल से पारिवारिक भाई गुडडू के साथ चोकर लेकर आ रहा था। उसी समय वहां पर पहले से मौजूद पुलिस वालों ने उसे जबरदस्ती अपनी गाड़ी में बैठा लिया, जब गुड्डू ने रोकने का प्रयास किया तो उसे धमका कर भगा दिया।

 

घटना से सबसे अधिक दुखी बलवंत के चाचा चंद्रभान सिंह उर्फ राजू हैं। उनका कहना है कि पता होता कि भतीजे की जान चली जाएगी तो लूट की रिपोर्ट ही नहीं कराते। वह भतीजे को हिरासत से छुड़ाने गए थे, उन्होंने बताया भी कि मामले में बलवंत का कोई लेना-देना नहीं है। इस पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें भगा दिया था।

अस्पताल से भाग निकले पुलिसकर्मी, लावारिस पड़ा रहा शवसोमवार रात हिरासत में बलवंत सिंह की मौत के बाद पुलिसकर्मी घटना छिपाते रहे। रात करीब 11 बजे बलवंत को नबीपुर स्थित एक नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां पर उसे भर्ती करने से इन्कार कर दिया गया। इसके बाद एक सीएचसी ले जाया गया और वहां से रात 12 बजे जिला अस्पताल लाया गया। डाक्टर ने 12.05 बजे करीब उसे मृत घोषित कर दिया। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने किसी अधिकारी को सूचना तक नहीं दी। अस्पताल में शव लावारिस पड़ा रहा। जिला अस्पताल के वार्ड ब्वाय ने 1:38 बजे अकबरपुर कोतवाली में मेमो भेजकर सूचना दी। इसके बाद डीएम, एसपी सभी को जानकारी हुई। एसपी सुनीति देररात ही जिला अस्पताल और रनियां थाने पहुंचीं और शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाने को कहा। इस बीच घर वालों को भी मंगलवार सुबह ही सूचना दी गई। घर का इकलौता बेटा था बलवंत

एडीजी, भानु भास्कर ने बताया कि स्वजन की मांग पर कानपुर नगर में मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। बता दें, बलवंत अपने घर का इकलौता बेटा था, जिसकी शादी 2019 में शालू से कराई गई थी। मृतक के दो बच्चे हैं, दो साल की बेटी काव्या और छोटा बेटा यश। एक तरफ जहां बच्चों को उनके सर से पिता का साया छिन जाने की समझ तक नहीं है, तो वहीं मृतक की मां ममता और बहन माया बेसुध हुई जा रही हैं।

 

घटना को लेकर राज्यमंत्री ने कहा कि इसके बारे में सीएम को बताया जाएगा। राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला व पूर्व सांसद अनिल शुक्ल वारसी भी पहुंचें और उन्होंने परिवार से बात की। उन्होंने कहा कि जो भी पुलिसकर्मी दोषी हैं उन पर कार्रवाई होने के साथ ही गिरफ्तारी होगी। वह परिवार के साथ हैं और मुख्यमंत्री से समय लेकर इस मामले पर बात की जाएगी।

 

वहीं सांसद भोले ने एसपी और पुलिस पर प्रशासन पर कई सवाल उठाए। अकबरपुर से भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि कानपुर देहात की पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देती हैं और उनके निर्देश पर यह घटना हुई है। घटना 12 या 13 को हुई लेकिन जिला अस्पताल के डाक्टर ने जो पत्र बनाया उसमें घटना का दिन 11 तारीख बताया जा रहा है। पूरी तरह से गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। जिले में कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब लूट की घटना न होती है। पुलिस जाती ही नहीं। मामले में पुलिस ने पूरी तरह से लापरवाही बरती है।

पहले भी दागदार हो चुकी है खाकीसाल 2016 में रूरा में एक चोरी हुई थी। मामले में उस समय के एसओजी प्रभारी रहे संतोष आर्य ने केसी गांव के जीशान को पूछताछ के लिए उठाया था और पिटाई से उसकी मौत हो गई थी। उस समय ग्रामीणों ने हंगामा किया था और पिता मुनीर खान की तहरीर पर एसओजी प्रभारी, टीम व थाना प्रभारी बरौर वेदप्रकाश पांडेय पर मुकदमा किया गया था। उन सभी को निलंबित कर दिया गया था।

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