शहरी कार्य मंत्रालय के अनुसार इन पर जल्द काम शुरू हो जाएगा। शेष प्लांटों को मंजूरी देने की प्रक्रिया भी आरंभ हो रही है। इन्हें भी जल्द मंजूरी मिलने के आसार हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अभी जिन प्लांटों को मंजूरी दी गई है।
नई दिल्ली। शहरों को कचरा मुक्त बनाने के लिए गोबरधन योजना पर तेजी से काम शुरू हो गया है। इस साल के बजट भाषण में पांच सौ बायोगैस प्लांट स्थापित करने का एलान किया था, जिसमें 75 शहरी क्षेत्रों में स्थापित किए जाने हैं। शहरों को गीले कचरे से मुक्त बनाने के लिए इस योजना को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लगभग 40 ऐसे प्लांटों को केंद्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है।
प्लांटों की लागत एक हजार करोड़ रुपये से अधिक
शहरी कार्य मंत्रालय के अनुसार इन पर जल्द काम शुरू हो जाएगा। शेष प्लांटों को मंजूरी देने की प्रक्रिया भी आरंभ हो रही है। इन्हें भी जल्द मंजूरी मिलने के आसार हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अभी जिन प्लांटों को मंजूरी दी गई है, उनकी कुल क्षमता 6213 टन कचरा प्रतिदिन निस्तारित करने की होगी। इन प्लांटों की लागत एक हजार करोड़ रुपये से अधिक है।
अभी जो वेस्ट टू एनर्जी प्लांट काम कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर सूखे कचरे पर आधारित हैं। जो नए प्लांट स्थापित किए जाएंगे, वे गीले कचरे को बायो गैस में बदलेंगे, लेकिन इनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया कितनी कुशलता से अपनाई जाती है। मंत्रालय ने पिछले दिनों एक बयान में यह उल्लेख किया था कि करीब नब्बे प्रतिशत निकायों में कूड़े को अलग-अलग करने के उपाय किसी न किसी स्तर पर किए जा रहे हैं।