श्रद्धालु होंगे बराती, दूल्हा बनेंगे भोलेनाथ; मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव का होगा खास श्रृंगार

लखनऊ के सिद्धपीठ मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव को दूल्हे की तरह सजाया जाएगा। भगवान के लिए खास पगड़ी बनाई गई है। भगवान को हर सोमवार को अलग-अलग रंग की पगड़ी पहनाई जाएगी। ढोल नगाड़ा झांझ और मृदंग के साथ शिवार्चन के साथ ही भोर में महाआरती होगी।

 

लखनऊ,  भगवान शिव के पूजन का श्रावण मास इस बार खास होगा। सनातन संस्कृति के सबसे पवित्र मास को खास बनाने की तैयारी भी शुरू हो गई है। लखनऊ के सिद्धपीठ मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव को दूल्हे की तरह सजाया जाएगा। भगवान के लिए खास पगड़ी बनाई गई है। भगवान को हर सोमवार को अलग-अलग रंग की पगड़ी पहनाई जाएगी। मंदिर को भी दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। ढोल नगाड़ा, झांझ और मृदंग के साथ शिवार्चन के साथ ही भोर में महाआरती होगी। सुरक्षा के चलते गर्भगृह में प्रवेश नहीं होगा तो दूसरी ओर मंदिर के अंदर प्रशासन द्वारा निर्धारित संख्या में ही श्रद्धालु नजर आएंगे। मास्क लगाना अनिवार्य होगा। 10 साल से छोटे बच्चे और 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।

नग जड़ी होगी पगड़ी: मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि बाबा की पगड़ी में नग लगाए गए हैं और श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से पगड़ी बनाई है। हर सोमवार बाबा को दूल्हे की तरह सजाया जाएगा। बम भोले के जयकारे के साथ श्रद्धालु बराती के स्वरूप में शामिल होंगे। सुरक्षा के चलते क्लोज सर्किट कैमरे से निगरानी होगी। मंदिर में आने और जाने की अलग-अलग व्यवस्था की गई है। मंदिर में प्रसाद स्वयं चढ़ाना होगा। गर्भगृह में किसी को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

सीमित संख्या में होंगे रुद्राभिषेक: संक्रमण के चलते सीमित संख्या में रुद्राभिषेक होंगे। ऐसे में श्रद्धालु रुद्रभिषेक के लिए पहले समय लेना होगा। समय के बाद ही आप रुद्राभिषेक के लिए आ सकते हैं। एक परिवार को रुद्राभिषेक में शामिल होने की सुविधा होगी। श्रद्धालुओं को भी परेशानी से बचने के लिए पहले से ही समय लेने की अपील की गई है।

महाकाल के भस्म से होगी आरती: राजेंद्र नगर के महाकाल मंदिर में श्रावण के सभी चार सोमवार को भोर में चार बजे भस्म आरती होगी। मुख्य व्यवस्थापक अतुल मिश्रा ने बताया कि महाकाल मंदिर से आई भस्म से आरती होगी। आरती व रुद्राभिषेक के लिए मंदिर प्रशासन से संपर्क करना होगा। संक्रमण के चलते सीमित संख्या में ही श्रद्धालु शामिल होंगे।

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