श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के नेता दिनेश गुणवर्धने ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण कर लिया है। उन्हें राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को 17 अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ शपथ दिलाई।
कोलंबो, एजेंसियां: श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के नेता दिनेश गुणवर्धने ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण कर लिया है। उन्हें राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने शुक्रवार को 17 अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ शपथ दिलाई। देश में आर्थिक संकट के बीच दिनेश गुणवर्धने की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इस बीच गुणवर्धने का भारतीय कनेक्शन सामने आया है।
समाचार एजेंसी एएनआइ ने दिनेश गुणवर्धने के पिता डान फिलिप रूपासिंघे गुणवर्धने के भारतीय कनेक्शन के बारे में बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका थी। वो साम्राज्यवाद-विरोधी और उपनिवेश-विरोधी अभियान के केंद्र में थे और उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। बताया जा रहा है कि रूपासिंघे गुणवर्धने की स्वतंत्रता सेनानी जोमो केन्याटा और जवाहरलाल नेहरू से लंदन में मुलाकात हुई। जिसके बाद उन्होंने कृष्ण मेनन और नेहरू के साथ साम्राज्य-विरोधी संगठन इंडियन लीग के साथ काम किया।
श्रीलंका गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि फिलिप गुनावर्धने को उन व्यक्तित्वों के साथ जुड़ने का मौका मिला, जो बाद में चल के विश्वस्तरीय नेताओं में शुमार हुए। इनमें भारत के जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण और कृष्ण मेनन समेत केन्या के जोमो केनिटा, मैक्सिको के जोस वास्कोनसेलोस सरीखे नेता शामिल हैं। साल 1942 में वो भारत भी आए थे, इस दौरान वो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। बाद में फिलिप गुनावर्धने ने अपना नाम गुरुसामी रख लिया, जिसमें उनकी पत्नी कुसुमा ने उनका साथ दिया। उनके सबसे बड़े बेटे का भारत में जन्म हुआ था। बाद में वो 1943 में श्रीलंका वापस लौट गए और वहां उन्हें छह महीनों की सजा सुनाई गई।
फिलिप गुनावर्धने ने भारत के सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा प्रदान की और इसके लिए उन्होंने एक अनोखा तरीका अपनाया, उन्होंने बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति (एमपीसीएस) की स्थापना कर एक असाधारण मुकाम हासिल किया। मार्च 2022 में, श्रीलंका ने फिलिप गुनावर्धने की 50वीं पुण्यतिथि मनाई। उनका नाम श्रीलंका के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। उन्होंने श्रीलंका के भविष्य को लेकर कड़ी मेहनत की थी।