समुद्र के बढ़ते जल स्तर से बचने के लिए एक कृत्रिम द्वीप तैयार करेगा डेनमार्क, चिंतित हुए वैज्ञानिक

विश्‍व पर्यावरण दिवस के मौके पर डेनमार्क का एक कृत्रिम द्वीप सुर्खियों में है। आखिर क्‍या है डेनमार्क की योजना? उसकी इस योजना से क्‍यों चिंतित है वैज्ञानिक? डेनमार्क के इस फैसले के खिलाफ क्‍यों हो रहा है प्रदर्शन? क्‍या है प्रदर्शनकारियों की मांग ?

 

कोपनहैगन, एजेंसी।  विश्‍व पर्यावरण दिवस के मौके पर डेनमार्क का एक कृत्रिम द्वीप सुर्खियों में है। डेनमार्क की सरकार के अनुसार देश के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी निर्माण परियोजनाओं में से एक है। आखिर क्‍या है डेनमार्क की योजना? उसकी इस योजना से क्‍यों चिंतित है वैज्ञानिक? डेनमार्क के इस फैसले के खिलाफ क्‍यों हो रहा है प्रदर्शन? क्‍या है प्रदर्शनकारियों की मांग ?

समुद्र के बढ़ते जलस्‍तर से डेनमार्क को खतरा

दरअसल, डेनमार्क की संसद ने कोपेनहेगन बंदरगाह को समुद्र के बढ़ते जल स्तर से बचाने के लिए एक कृत्रिम द्वीप तैयार करने की परियोजना को मंजूरी दी है। डेनमार्क ने इस द्वीप का नाम लिनेटहोम रखा है। यहां करीब 35,000 लोगों के रहने का इंतजाम है। सरकार की योजना है कि इस विशाल द्वीप को रिंग रोड, टनल और मेट्रो लाइन के माध्यम से डेनमार्क की मुख्यभूमि से जोड़ा जाएगा।

क्‍या है द्वीप की खासियत

  • डेनमार्क के इस द्वीप का आकार एक वर्ग मील यानी 2.6 वर्ग किलोमीटर होगा। डेनमार्क सरकार का कहना है कि इस परियोजना पर इस वर्ष के अंत तक काम शुरू हो जाएगा।
  • डेनमार्क की इस परियोजना को तैयार करने वालों के अनुसार, इस नए द्वीप के चारों ओर एक बांध व्यवस्था बनाई जाएगी। इसका मकसद समुद्र में बढ़ते जल स्तर और तूफान की लहरों से बंदरगाह की रक्षा करना है।
  • सरकार का दावा है कि यह योजना पूरी तरह से अमल में आई तो वर्ष 2035 तक इसकी नींव का अधिकांश हिस्‍सा तैयार हो जाएगा। वर्ष 2070 तक यह द्वीप पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा।

कृत्रिम द्वीप के निर्माण के खिलाफ प्रदर्शन

 

डेनमार्क की संसद ने शुक्रवार को इस कृत्रिम द्वीप के निर्माण को हरी झंडी दी। संसद में 85 सांसदों ने इस बिल के पक्ष में और 12 ने इसके खिलाफ वोट किया। हालांकि, जब संसद में यह बिल पास हुआ तब राजधानी कोपनहैगन में स्थित संसद भवन के बाहर इस द्वीप के खिलाफ भारी प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी इस बिल का विरोध कर रहे थे। उन्‍होंने सरकार से मांग की इस परियोजना पर सरकार को दोबार विचार करना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने यह चिंता जताई कि इस द्वीप के निर्माण के दौरान कोपेनहेगन को अलग हालातों का सामना करना होगा।

 

वैज्ञानिकों ने भी जाहिर की चिंता

डेनमार्क के इस द्वीप को लेकर वैज्ञानिकों ने भी चिंता जाह‍िर की है। वैज्ञानिक समुद्र के बढ़ते जलस्‍तर पर भी चिंतित है। इसके साथ उनका कहना है कि द्वीप के निर्माण के दौरान राजधानी कोपेनहेगन से भारी लॉरियां गुजरेंगी और यहां रहने वालों को पर्यावरण प्रदूषण से जूझना होगा। पर्यावरणविदों की चिंताओं को देखते हुए डैनिश रोड ट्रांसपोर्ट ऑफ गुड्स के लिए बनी एसोसिएशन की प्रमुख कैरीना क्रिस्टिनसन ने कहा कि माल लाने, ले जाने के लिए परिवहन के दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं, जो पर्यावरण को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाते। उन्‍होंने कहा कि सरकार के समक्ष यह भी विकल्‍प है। कैरीना ने कहा कि बिजली से चलने वाले ट्रक ना तो ध्‍वनि प्रदूषण करते हैं और ना ही कार्बन-उत्सर्जन। उनका कहना है कि भविष्य के लिहाज से यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

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