दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाली अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआइए) ने दुनिया भर के अपने सभी स्टेशनों को एक गुप्त मेमो जारी करके स्वीकार किया कि बड़ी तादाद में उनके मुखबिर चीन पाकिस्तान अफगानिस्तान ईरान रूस आदि देशों में मारे गए हैं।
वाशिंगटन, न्यूयार्क टाइम्स। दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाली अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआइए) ने दुनिया भर के अपने सभी स्टेशनों को एक ‘गुप्त’ मेमो जारी करके स्वीकार किया कि बड़ी तादाद में उनके मुखबिर चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, रूस आदि देशों में मारे गए हैं। इसके अलावा जो जीवित बचे हैं उन्हें या तो इन देशों की खुफिया एजेंसियों ने गिरफ्तार कर लिया है या फिर वह डबल एजेंट बन गए हैं।
सभी सीआइए स्टेशनों या बेस पर पिछले हफ्ते भेजा गया यह मेमो जासूसी की दुनिया में बहुत ही अप्रचलित तरीका है। टाप सीक्रेट मेमो में बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में सीआइए के काउंटर इंटेलिजेंस मिशन सेंटरों में काम करने वाले दर्जनों विदेशी गुप्तचर या तो मार दिए गए हैं या फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा, जो बाकी इन्फार्मर हैं, वह डबल एजेंट बनकर गुपचुप तरीके से दूसरे देशों के लिए अमेरिका की ही जासूसी करने लगे हैं।
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक असामान्य संदेश में कहा गया कि पिछले कुछ सालों में इन सभी जासूसों की दुश्मन खुफिया एजेंसियों को ना सिर्फ भनक लग गई बल्कि वह कई दर्जन विदेशी जासूसों को जान से मारने में भी कामयाब रहे। इस संदेश में यह भी कहा गया कि जासूसों की नियुक्ति अपने आप में एक बड़ा जोखिम है।
इस संदेश में सीआइए की इस प्रक्रिया की खामी को भी उजागर करते हुए कहा गया कि सूत्रों या मुखबिरों पर बहुत अधिक भरोसा करने का चलन भी ठीक नहीं है। जबकि विदेशी खुफिया एजेंसियों को कमतर मान लिया जाता है और विदेशी मुखबिरों की नियुक्ति में अत्यधिक जल्दबाजी दिखाई जाती है। चूंकि अधिक मुखबिरों की नियुक्ति और उनके कामकाज के आधार पर सीआइए के जासूसों को प्रोन्नति मिलती है।
हाल के सालों में अन्य देशों में तैनात इन मुखबिरों की पहचान बायोमीट्रिक पहचान, फेशियल रिकग्निशन, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, हैकिंग टूल आदि के जरिये उजागर होती रही हैं। इन मुखबिरों को पहचान कर फिर आसानी से सीआइए अफसरों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जाने लगती है।
दरअसल, वर्ष 2019 में सीआइए के पूर्व अधिकारी जैरी चन शिंग ली को चीन सरकार को खुफिया जानकारी देने पर कम से कम 19 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। फिर चीन ने यह जानकारी रूस से साझा कर ली और रूस ने उसके कम से कम बीस साथी एजेंटों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद सीआइए को कुछ समय के लिए चीन में इंसानों के जरिये जासूसी को बंद करना पड़ा था।