सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर आपको संदेह है कि आप पेगासस मामले के हैं शिकार, तो हमें 7 जनवरी तक करें सूचित

जारी किए गए नोटिस में नागरिकों से यह भी कारण बताने का आग्रह किया गया है कि वे क्यों मानते हैं कि उनका उपकरण पेगासस से हैक हो सकता है। यह मेल तकनीकी समिति को 7 जनवरी 2022 तक checkpegasus-india-investigation.in इस पर भेजे जा सकते हैं।

 

नई दिल्ली,  पेगासस स्पाईवेयर जासूसी मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर उन लोगों से ब्योरा मांगा है। जिन्हें लग रहा है कि उनके मोबाइल डिवाइस में पेगासस मैलवेयर से हैक हुए हैं। रविवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति ने अवैध जासूसी पर नकेल कसने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर नागरिकों से उनसे संपर्क करने का आग्रह किया। कोर्ट ने कहा है कि अगर उन्हें लगता है कि उनके मोबाइल डिवाइस पेगासस मैलवेयर से हैक हुए थे, तो वे तकनीकी समिति से संपर्क कर सकते हैं। जारी किए गए नोटिस में नागरिकों से यह भी कारण बताने का आग्रह किया गया है कि वे क्यों मानते हैं कि उनका उपकरण पेगासस से हैक हो सकता है। यह मेल तकनीकी समिति को 7 जनवरी, 2022 तक [email protected] इस पर भेजे जा सकते हैं।

समिति ने लोगों से यह बताने के लिए भी कहा कि क्या वे इसे उपकरण की जांच करने की अनुमति देने की स्थिति में हैं। साथ ही रविवार के समाचार पत्रों में जारी नोटिस में कहा गया है, ‘यदि समिति को लगता है कि मैलवेयर से हैक हुई डिवाइस के संदेह के लिए आपकी प्रतिक्रिया आगे की जांच के लिए मजबूर करती है, तो समिति आपसे अपने डिवाइस की जांच की अनुमति देने का अनुरोध करेगी।’

बता दें कि अक्टूबर में सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और हेमा कोहली की एससी बेंच ने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए डाक्टर नवीन कुमार चौधरी, डाक्टर प्रभाकरन और डाक्टर अश्विन अनिल गुमस्ते की एक तकनीकी समिति का गठन किया था। समिति की देखरेख सेवानिवृत्त एससी न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे और पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ डाक्टर संदीप ओबेराय द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। पैनल को रिपोर्ट तैयार करने और इसे तेजी से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया गया है।

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