सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल के माफी मांगने पर बंद की अवमानना ​​की कार्यवाही, क्‍या था मामला

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ में जस्टिस सूर्य कांत और एमएम सुंदरेश ने माफी मांगने के बाद वरिष्‍ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और तहलका के तत्कालीन संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही बंद कर दी।

 

नई दिल्ली, एजेंसी| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्‍ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 में तहलका पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार के संबंध में अवमानना ​​के मामले को बंद कर दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत के कई पूर्व मुख्य न्यायाधीश भ्रष्ट थे। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ में जस्टिस सूर्य कांत और एमएम सुंदरेश ने माफी मांगने के बाद भूषण और तहलका के तत्कालीन संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही बंद कर दी। प्रशांत भूषण का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि उन्होंने अपने बयान के लिए स्पष्टीकरण दिया है। तहलका पत्रिका के संपादक तरुण तेजपाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि उन्होंने माफी मांगी है।

ननाकर्ताओं ने के सामने पेश किया स्पष्टीकरण और माफीप्रस्तुतियां सुनने के बाद खंडपीठ ने अवमाननाकर्ताओं द्वारा किए गए स्पष्टीकरण और माफी के मद्देनजर कहा कि हम मामले को जारी रखना आवश्यक नहीं समझते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही को हटा दिया। 2009 के मामले को 2020 में फिर से शुरू किया गया, जब कुछ ट्वीट्स पर प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही के साथ सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था।

इंटरव्‍यू में प्रशांत भूषण ने किया था दावा, पिछले 16 मुख्य न्यायाधीशों में से आधे भ्रष्ट थेतरुण तेजपाल के साथ प्रशांत भूषण ने इंटरव्‍यू में दावा किया कि पिछले 16 मुख्य न्यायाधीशों में से आधे भ्रष्ट थे। सुप्रीम कोर्ट ने उनके बयान के आधार पर अवमानना का मामला शुरू किया था। प्रशांत भूषण ने 2009 के अवमानना ​​मामले के जवाब में शीर्ष अदालत से कहा था कि केवल भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से अदालत की अवमानना ​​नहीं हो सकती। सितंबर 2010 में प्रशांत भूषण के पिता और वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने सीलबंद लिफाफे में 8 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के एक सूची प्रस्तुत की, जिन पर उन्होंने ‘निश्चित रूप से भ्रष्ट’ होने का आरोप लगाया था। अवमानना का मामला कई वर्षों से निष्क्रिय था, इससे पहले कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे संज्ञान लिया। मामले को मंगलवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध किया गया।

प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगीअदालत के समक्ष एक बयान में प्रशांत भूषण ने दावा किया कि उन्होंने ‘भ्रष्टाचार” शब्द का इस्तेमाल व्यापक अर्थों में किया था, जिसका अर्थ है औचित्य की कमी। उन्होंने कहा, मेरा मतलब केवल वित्तीय भ्रष्टाचार या कोई आर्थिक लाभ प्राप्त करना नहीं था। अगर मैंने जो कहा है कि उससे उनमें से किसी को या उनके परिवारों को किसी भी तरह से चोट लगी है, तो मुझे इसका खेद है।

 

प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें इसमें पूरा विश्वास था कि उनका इरादा न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को कम करने का नहीं था। उन्होंने कहा कि मुझे खेद है कि अगर मेरे साक्षात्कार को ऐसा करने के रूप में गलत समझा गया यानी न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा को कम किया गया, जो कि मेरा इरादा कभी नहीं हो सकता था।

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