स्‍टॉक मार्केट में रौनक लौटी, Maruti-Axis Bank की बदौलत सेंसेक्‍स-निफ्टी हरे निशान पर बंद

शेयर बाजारों में सोमवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट का सिलसिला रहा। भारी बिकवाली के बीच पांच दिन में निवेशकों की 1950288.05 करोड़ रुपये की पूंजी डूब चुकी है। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1545.67 अंक या 2.62 प्रतिशत के नुकसान से 57491.51 अंक पर आ गया।

 

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्‍स मंगलवार को 57,158 अंक पर खुला और उसके बाद 366 अंक ऊपर 57,858 पर बंद हुआ। Maruti, Axis Bank समेत डेढ़ दर्ज शेयर हरे निशान पर बंद हुए। Nifty 50 में भी मजबूती रही और यह 118 अंक ऊपर 17,267 पर बंद हुआ।

इससे पहले शेयर बाजारों में सोमवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट का सिलसिला रहा। भारी बिकवाली के बीच पांच दिन में निवेशकों की 19,50,288.05 करोड़ रुपये की पूंजी डूब चुकी है। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,545.67 अंक या 2.62 प्रतिशत के नुकसान से 57,491.51 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 468.05 अंक या 2.66 प्रतिशत टूटकर 17,149.10 अंक पर बंद हुआ। यह शेयर बाजारों में दो माह में किसी एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है।

पिछले 5 सत्रों में बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 3,817.4 अंक या 6.22 प्रतिशत टूट चुका है। 5 दिन से जारी बिकवाली के सिलसिले के बीच बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 19,50,288.05 करोड़ रुपये घटकर 2,60,52,149.66 करोड़ रुपये पर आ गया है। अकेले सोमवार को ही बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 9,13,651.88 करोड़ रुपये घटा है। दिलचस्प यह है कि 17 जनवरी को सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 280 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंचा था।

टाटा स्टील का शेयर करीब छह प्रतिशत टूटकर सर्वाधिक नुकसान में रहा। इसके अलावा बजाज फाइनेंस, विप्रो, टेक महिंद्रा, टाइटन, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचसीएल टेक में भी प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। जूलियस बेयर के कार्यकारी निदेशक मिलिंद मुचाला ने कहा, ‘‘भारतीय बाजार पिछले कुछ दिनों से उल्लेखनीय दबाव में हैं। हाल के उच्चतम स्तर से यह सात प्रतिशत नीचे आ चुका है…गिरावट चौतरफा है। हाल के आईपीओ वाले नये जमाने की कंपनियों में गिरावट ज्यादा तीव्र है।’’ उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजारों में मुद्रास्फीति को लेकर चिंता है। साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर बढ़ाने को लेकर भी चिंता है जिससे दुनिया के अन्य प्रमुख बाजारों में गिरावट के साथ घरेलू बाजार नीचे आये हैं।

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