विभागीय आंकड़ों के अनुसार कोटेदारों से दो लाख 59 हजार बोरों को जमा कराएं गए थे जिनका भुगतान विपण शाखा को कराना था। मगर बाद में बोरों का प्रयोग नहीं किया गया और वह डेढ़ साल से गोदाम में पड़े रहे। उनको चूहों ने कुतर कर बर्बाद कर दिया गया।
हरदोई, जिम्मेदारों की लापरवाही से कोटेदारों से जमा कराए गए पांच लाख रुपये के बोरे चूहों ने कुतर दिए। इन बोरों की कीमत अदा करने में विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे है, जिसका खामियाजा कोटेदारों को आर्थिक रूप से उठाना पड़ रहा है। जिले में 1632 सरकारी राशन वितरण की दुकानें हैं, जिनसे प्रतिमाह सात लाख 80 हजार राशन कार्ड धारकों को राशन का वितरण किया जाता है। कोटेदारों से गोदाम से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। खाद्यान्न के खाली बोरे हक कोटेदार का होता है। वह उसको बीस से तीस रुपये प्रति बोरा बाजार में बेंचकर दुकान के कार्य में लगातार है।
विगत मई, जून में सरकारी क्रय केंद्रों पर बोरो की कमी होने पर कोटेदारों से विभाग की ओर से बोरे जमा कराएं गए थे। उन बोरों को गोदामों पर रखवा दिया गया और कोटेदारों को उसकी रसीद इस आशय के साथ दी गई कि प्रति बोरा बीस रुपये की दर से भुगतान किया जाएगा। विभागीय आंकड़ों के अनुसार कोटेदारों से दो लाख 59 हजार बोरों को जमा कराएं गए थे, जिनका भुगतान विपण शाखा को कराना था। मगर बाद में बोरों का प्रयोग नहीं किया गया और वह डेढ़ साल से गोदाम में पड़े रहे। उनको चूहों ने कुतर कर बर्बाद कर दिया गया। बोरा सही न होने पर विपणन शाखा ने भुगतान करने से इंकार कर दिया है।
वहीं जिला पूर्ति कार्यालय से कोटेदार लगातार बोरे के भुगतान की मांग कर रहे हैं। भुगतान होने का खामियाजा कोटेदारों को आर्थिक रूप से उठाना पड़ रहा है। इससे पूर्व भी विपणन शाखा ने धान खरीद में भी बोरे जमा कराएं थे। जिसका भी पूरा भुगतान नहीं किया है। इससे कोटेदारों में रोष बढ़ता जा रहा है। जिला पूर्ति अधिकारी संजय पांडेय ने बताया कि बोरे गोदाम में रखे है। उनको उठाया नहीं जा रहा है और न ही भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने इस संबंध में कई पत्राचार किए हैं।