जोनल अधिकारी से लेकर कर अधीक्षक और ऊपर के अधिकारियों के संरक्षण के चलते सालों से हाउस टैक्स में गड़बड़ी बंद नहीं हो पा रही है और भवन स्वामी मानसिक के साथ ही आर्थिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं।
लखनऊ, हाउस टैक्स में घालमेल की कड़ी लिपिक, राजस्व निरीक्षक और दलाल से जुड़ी है। दलाल मतलब ऐसा व्यक्ति जो नगर निगम का कर्मचारी तो नहीं है, लेकिन नगर निगम कर्मचारी की हैसियत से हाउस टैक्स कम कराने में मध्यस्ता करता है। हाल यह है कि अधिकारियों के संरक्षण में कहीं-कहीं चपरासी तक ने हाउस टैक्स निर्धारण का काम संभाल रखा है।
नगर निगम के जोन चार में पहले हाउस टैक्स बढ़ाने और फिर घटाने के लिए कई लाख की रकम मांगी जा रही थी। लोक मंगल दिवस में महापौर संयुक्ता भाटिया व नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के सामने ऐसा ही मामला आया तो राजस्व निरीक्षक नमिता सिंह व लिपिक अमरनाथ वर्मा की गड़बड़ी से परदा उठा है। दोनों को भवन स्वामी का बेवजह उत्पीडऩ करने और मनमाने तरह से कर का निर्धारण करने का दोषी पाया गया है। दोनों को चार्जशीट देने के साथ विभागीय कार्यवाही भी चालू हो गई है।
गोमती नगर के विशालखंड 1/50 निवासी विक्रम वरयानी ने शिकायत किया था कि उनके भवन सीपी-008 विकास खंड ( हर्ष पैलेस) के हाउस टैक्स का भुगतान के दिए गए चेक चेक पर ओवरराइटिंग करके बाउंस कराया गया। जांच रिपोर्ट से पता चला कि राजस्व निरीक्षक नमिता सिंह एवं लिपिक अमरनाथ वर्मा ने उक्त भवन का बार-बार कर निर्धारण पुनरीक्षित करते हुए भवन स्वामी को परेशान किया गया था, जबकि कर निर्धारण वर्ष 2010 एवं वर्ष 2014 के हिसाब से पुनरीक्षित किया जाना चाहिए था। हाउस टैक्स भुगतान के बीस लाख के चेक पर 28 लाख ओवर राइटिंग कर किया गया था।
गड़बड़ी करने वाले कई चेहरे
नगर निगम में हाउस टैक्स को बढ़ाकर भवन स्वामियों का मानसिक उत्पीडऩ किया जाता है। हाउस टैक्स घटाने के लिए मनचाही रकम भी मांगी जाती है। अब कुछ दिन पहले ही मोहान रोड पर ऐसा ही घालमेल पकड़ा गया था। मोहान रोड पर स्वर्गीय राम चंदर गुप्ता के भवन संख्या 599एमआर/17एन का हाउस टैक्स का निर्धारण किया गया था। जोन छह में तैनात राजस्व निरीक्षक आजाद अहमद ने भवन का क्षेत्रफल दो गुना दिखाकर कर निर्धारण कर दिया था। भवन स्वामी ने नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने शिकायत की तो जांच में राजस्व निरीक्षक की गर्दन फंस गई।
जांच में पता चला कि 465 वर्गफीट में एक तल में निर्मित भवन था और उसकी कर निर्धारण वर्ष 2010 से किया गया था। 20 वर्ष से अधिक पुराने भवन में लोग रह भी रहे थे। मौके पर सौ-सौ फीट की दो दुकानें भी बनी थीं। जांच में पाया गया कि राजस्व निरीक्षक ने मनमाने तरह से दो गुना कर निर्धारण किया था और एक अप्रैल 2014 से नवीन कर निर्धारण नियमावली से कर का पुनरीक्षण भी नहीं किया गया। इस मामले में नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने राजस्व निरीक्षक आजाद अहमद को प्रतिकूल प्रविष्टि दी थी।
जोन सात में पकड़े गए थे दस दलाल
हाउस टैक्स का निर्धारण करने वाले दलाल तो नगर निगम के हर जोन में तैनात हैं, जो नगर निगम कर्मी बनकर ही काम करते हैं। अभी कुछ दिन पहले जोनल अधिकारी डा. प्रज्ञा सिंह ने दस दलालों को दफ्तर में पकड़ा था और उन्हें बाहर कर दिया था। यह दलाल दफ्तर में ही बैठकर काम करते थे। जब जोनल अधिकारी ने इस दलालों को भगाया तो कई राजस्व निरीक्षक उनके पक्ष में आ गए और अपना चालक बचाकर बचाने की कोशिश की।
इन दलालों को मानदेय के साथ ही हर फार्म पर एक निर्धारित रकम देते हैं यह दलाल की अवैध वसूली में मध्यस्ता करते हैं। इसमें राजस्व निरीक्षकों के साथ ही जोनल अधिकारियों से लेकर कर अधीक्षकों की भी भूमिका रहती है, जो जानकर भी अनजान बने रहते हैं। पिछले दिनों महानगर क्षेत्र में ऐसे ही युवकों को पकड़ा गया था, जो खुद को नगर निगम का कर्मी बताकर दुकानदारों से हाउस टैक्स कम करने का दाम मांग रहे थे।