अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के नागरिकों की जिंदगी दुश्वार हो गई है। लोगों के समक्ष दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। आलम यह है कि भूखमरी से बचने के लिए लोग अपने घरों का सामान कौड़ी के भाव बेच रहे हैं।
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के नागरिकों की जिंदगी दुश्वार हो गई है। पैसों की कमी के चलते लोगों के समक्ष दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। आलम यह है कि भूखमरी से बचने के लिए लोग अपने घरों का सामान कौड़ी के भाव बेच रहे हैं। तालिबान शासन में लोग जीने के लिए सामान बेच रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अफगानिस्तान छोड़कर जाने के लिए पैसा जुटा रहे हैं। टोलो न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक काबुल एक लाख का घरेलू सामान सिर्फ 20 हजार अफगानी में बिक रहा है। आइए जानते हैं कि दस बिंदुओं में तालिबान शासन का राज।
तालिबान राज का अफगानिस्तान
1- एक महीने के तालिबान राज में अफगानिस्तान में महंगाई चरम पर है। खाने-पीने के दाम आसमान छु रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पानी की एक बोतल की कीमत 40 डालर यानी तीन हजार रुपये और एक प्लेट चावल की कीमत करीब साढ़े सात हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।
2- तालिबान शासन में लोग पेट भरने के लिए घरों का सामान कौड़ियों के भाव बेच रहे हैं। लोग अपने बच्चों के पेट भरने के लिए घरों का सामान बेच रहे हैं। 25 हजार का फ्रीज पांच हजार में बिक रहा है। रोजगार खत्म हो चुका है। इससे उच्च शिक्षा प्राप्त नागरिक और पुलिस वाले पेट भरने के लिए बाजार में काम कर रहे हैं।
3- महिलाओं को काम पर जाने से रोका जा रहा है। विरोध प्रदर्शन करने पर उनके साथ मारपीट हो रही है। तालिबानी प्रवक्ता ने इसी महीने कहा कि उसे नहीं लगता महिलाओं को क्रिकेट खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए। उसने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया और कहा कि यह गैर जरूरी है।
4- अफगानिस्तान में संगीत पर रोक लग गई है। तालिबान ने अपने गढ़ कंधार में रेडियो स्टेशंस को संगीत बजाने से जुड़ा एक आदेश जारी किया है। रेडियो स्टेशनों से हिंदी और फारसी पाप संगीत और करल-इन शो के बजाय देशभक्ति से जुड़े गाने बजाने को कहा है।
5- देश की संस्कृति मे बड़ा बदलाव आया है। तालिबान ने सांस्कृतिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दिया है। तालिबान का कहना है कि शरिया कानून और अफगानिस्तान की इस्लामिक संस्कृति के तहत ही सांस्कृतिक गतिविधियों की इजाजत होगी। महिलाओं के लिए बुर्का और अबाया अनिवार्य कर दिया गया है। पुरुषों को जींस के बजाय पारंपरिक कुर्ता सलवार पहनने को कहा गया है।
6- तालिबान शासन में महिलाओं को राजनीति में कोई जगह नहीं मिली है। महिलाओं से रोजगार छीनने के अलावा तालिबान ने उन्हें सरकार में भी कोई स्थान नहीं दिया है। तालिबान ने कहा है कि अफगान महिलाओं को पुरुषों के साथ काम की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो महिलाएं बैंक, सरकारी दफ्तर, मीडिया कंपनी सहित कई जगह काम नहीं कर सकेंगी।
7- अफगानिस्तान में बिना इजाजत प्रदर्शन पर रोक है। तालिबानी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को इजाजत नहीं दी गई है। तालिबानी सरकार ने कहा है कि अगर कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो उसे पहले न्याय मंत्रालय से हरी झंडी लेनी होगी। साथ ही सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रदर्शन के स्लोगन, स्थान, समय और बाकी की जानकारी देनी होगी।
8- काबुल और अफगानिस्तान के अन्य क्षेत्रों में तालिबान सरकार के आने के बाद तेल कंपनियों ने मनमानी शुरू कर दी है। पिछले एक हफ्ते में ईंधन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। ये कंपनियां कीमत से ज्यादा दाम वसूल रही हैं।
9- अफगानिस्तान में तालिबानी प्रभुत्व के बाद पंजशीर प्रांत में अहमद मसूद के नेतृत्व में नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स तालिबान के खिलाफ जंग लड़ रहा है। हालांकि, तालिबान लड़ाके लगातार इस आक्रमण कर यहां कब्जा जमाने की पूरी कोशिश में जुटे है। ये प्रांत तालिबान के कब्जे से बाहर है इसलिए वो अपने बाकी संसाधनों को यहां लड़ाई में लगा रहा है।
10- अमेरिकी सैनिकों एवं नाटो फोर्स के हटने के बाद काबुल आतंकियों के हाथ में हैं। तालिबान ने सात सितंबर को आतंरिक सरकार का ऐलान किया था। इस सरकार में मोस्ट वान्टेड वैश्विक आतंकी शामिल हैं। इसके अलावा कट्टरपंथी मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बनाया गया है। देश से जुड़े अहम फैसले आतंकी ले रहे हैं।