केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को भुट्टे का स्वाद लेना भी महंगाई के चलते फीका रहा। 15 रुपये का एक भुट्टा सुनकर कुलस्ते न सिर्फ चौंक गए बल्कि उसे बेच रहे लड़के से हिसाब किताब भी ले ले डाला।
भोपाल । महंगाई से पीड़ित लोगों के लिए यह खबर कुछ संतोषजनक हो सकती है, यानी महंगाई से आप अकेले नहीं, बल्कि केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी परेशान हैं, चिंतित हैं। सफर के दौरान भुट्टे का स्वाद लेना भी महंगाई के चलते उनके लिए फीका रहा। 15 रुपये का एक भुट्टा सुनकर कुलस्ते न सिर्फ चौंक गए, बल्कि उसे बेच रहे लड़के से हिसाब किताब भी ले ले डाला। यह दिलचस्प वीडियो गुरुवार को इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहा है।
हुआ यूं कि केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते नागपुर से सिवनी होते हुए मंडला जा रहे थे, तभी रास्ते में सड़क किनारे भुट्टा बेचता लड़का दिखा, तो उन्होंने बारिश के सुहाने मौसम में भुट्टे का आनंद लेने के लिए गाड़ी रुकवा दी। समय कम था, इसलिए उस लड़के के पास जितने सिंके हुए भुट्टे थे, उतने ही लेकर आगे बढ़ने का उन्होंने मूड बना लिया। लड़के ने तुरंत में तीन भुट्टा सेंक कर दिया।
मंत्री कुलस्ते ने इस पर नमक-नींबू आदि लगाकर कागज में पैक कर देने के लिए कहा और कीमत पूछी। लड़के ने सहजता से 15 रुपये के हिसाब से तीनों की कीमत 45 रुपये क्या बताई, कुलस्ते चौंक गए। वह बोले, इतना महंगा! गांव में तो यह मुफ्त मिलता है। इस पर लड़के ने सफाई भी दी कि हम तो 15 रुपये प्रति के भाव से बेचते हैं और लोग खरीदते भी हैं। जब तक वह लड़का तीनों भुट्टों पर नींबू-नमक आदि लगाकर पैक करता कुलस्ते ने दर्जन और किलो के हिसाब से भुट्टे का हिसाब-किताब भी पूछ लिया। हालांकि, कुलस्ते इस दौरान मुस्कुराते रहे और एक तरह से उस बालक के व्यावसायिक गुण को परखने की कोशिश करते रहे।
लड़के ने भी दिया खरा जवाब
भुट्टा बेच रहे लड़के ने भी मंत्री जी की बात सुनकर खरा जवाब दिया। कहा-आपकी गाड़ी देखकर मैंने रेट थोड़े बढ़ा दिया। आखिरकार कुलस्ते ने अपनी जेब से पैसे निकाले और बच्चे को दिए। उन्होंने बच्चे से नाम पूछा तो उसने अपना नाम अरविंद बताया।
कुलस्ते का यह है राजनीतिक सफर
फग्गन सिंह कुलस्ते पहली बार 1990 में विधायक बने थे। 1996 में पहली बार मंडला लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनकर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे पहली बार राज्यमंत्री बने थे। इसके बाद मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी कुलस्ते को मंत्री बनाया गया था। वे एक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे। भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। एक बार उन्होंने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव लड़ने का मन बना लिया था, तब बड़े मुश्किल से वे माने।