कंपनी का नाम और लोगो छपे कैरी बैग को 17 रुपये में बेचने का हर्जाना दो लाख रुपये तय हुआ है । ग्राहक को सामान देते समय उपलब्ध कराये गये कैरी बैग का मूल्य मानसिक प्रताड़ना है। इससे अधिक धनराशि दिलाने का औचित्य नहीं है। वाद व्यय के लिए 10 हजार रुपये भी देने होंगे ।
लखनऊ । कंपनी का नाम और लोगो छपे कैरी बैग को 17 रुपये में बेचने का हर्जाना दो लाख रुपये तय हुआ है। ग्राहक को सामान देते समय उपलब्ध कराये गये कैरी बैग का मूल्य मानसिक प्रताड़ना है। इससे अधिक धनराशि दिलाने का औचित्य नहीं है। वाद व्यय के लिए 10 हजार रुपये भी देने होंगे। राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य सुशील कुमार ने कैरी बैग प्रकरण में दोनों जजों के निर्णयों को परखा। उन्होंने आयोग अध्यक्ष के निर्णय को सही करार देते हुए आदेश दिया कि मामूली रकम के एवज में दो लाख की क्षतिपूर्ति सर्वथा उचित है। वाद व्यय भी दोगुना किया गया है।
राजधानी के कैंपवेल रोड असियामऊ निवासी दुर्गेश गुप्ता ने फर्स्ट क्राई विनायक कृष्णा इंटरप्राइज राजाजीपुरम से 20 अक्टूबर 2021 को 400 रुपये का सामान खरीदा। वहां दुर्गेश को कैरी बैग के लिए 17 रुपये भी देने पड़े, जिस पर कंपनी का नाम और लोगो छपा था। उन्होंने कंपनी को नोटिस भेजने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम (प्रथम) लखनऊ में 29 नवंबर 2021 को वाद प्रस्तुत किया। फोरम ने आदेश दिया कि कैरी बैग के मूल्य का भुगतान निर्णय से 45 दिन के अन्दर नौ प्रतिशत ब्याज के साथ किया जाए। मानसिक शोषण के लिए 10 हजार रुपये, वाद व्यय के लिए पांच हजार रुपये अदा किया जाए। तय अवधि के बाद संपूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा।
दो जज क्षतिपूर्ति की रकम पर थे असहमत
दुर्गेश ने जिला फोरम के आदेश के विरुद्ध राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील किया कि अनुतोष धनराशि को बढ़ाया जाए। अपील की सुनवाई आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार व सदस्य राजेंद्र सिंह ने की। आयोग अध्यक्ष ने आदेश दिया कि वह हर्जाना के रूप में दो लाख रुपये व वाद-व्यय के रूप में 10,000 रुपये अदा करें। सदस्य राजेंद्र सिंह ने अलग निर्णय दिया कि हर्जाना के रूप में तीन लाख रुपये और वाद व्यय के लिए 20,000 रुपये दिए जाएं।