Ganga Dussehra 20 जून को है पतीत पावनी गंगा के अवतरण का दिन। इस दिन होता है दान का विशेष महत्व। मौसमी फलों के दान के साथ लोग करते हैं जल का भी दान। गंगा के 11 नामों का जाप जीवन के पाप और संताप हरने में कारगर है।
आगरा, इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून को है। इस दिन सनातन धर्मप्रेमी गंगा मां की आराधना कर दान पुण्य करेंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार गंगोत्री की पर्वतमाला से कुछ किलोमीटर ऊपर गोमुख नाम की गुफा से शुरू हुई गंगा नदी, बंगाल की खाड़ी में गंगासागर पर खत्म होती है। इस जगह का नाम गंगासागर इसी कारण से है क्योंकि यहां गंगा नदी सागर में मिलती है। गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा नदी को लगभग 108 अलग- अलग नामों से जाना जाता है। इन 108 नामों का पुराणों में भी जिक्र है, लेकिन इनमें से 11 नाम ऐसे हैं जिनसे गंगा को भारत के अलग-अलग इलाकों में जाना जाता है। इनका जाप जीवन के पाप और संताप हरने में कारगर है।
एक बार जहृनु ऋषि यज्ञ कर रहे थे और गंगा के वेग से उनका सारा सामान बिखर गया। क्रोध में आकर उन्होंने गंगा का सारा पानी पी लिया था। जब मां गंगा ने उनसे अनुनय-विनय किया तो उन्होंने अपने कान से उन्हें वापस बाहर निकाल दिया और उन्हे अपनी पुत्री मान लिया। इसलिए इन्हें जाह्नवी कहा जाता है।
त्रिपथगा
गंगा को त्रिपथगा भी कहा जाता है त्रिपथगा यानी तीन रास्तों की और जाने वाली। ये शिव की जटाओं से धरती, आकाश और पाताल की तरफ गमन करती है।
दुर्गा
माता गंगा को दुर्गा देवी का स्वरूप माना गया है इसलिए गंगा स्त्रोत में इन्हें दुर्गाय नम: कहा गया है।
मंदाकिनी
गंगा को आकाश की ओर जाने वाली माना गया है इसलिए इसे मंदाकिनी कहा जाता है। एक मत के अनुसार आकाश में फैले पिंडों व तारों के समुह को जिसे आकाश गंगा कहा जाता है। वह गंगा का ही रूप है।
भागीरथी
पृथ्वी पर गंगा का अवतरण राजा भागीरथ की तपस्या के कारण हुआ था इसलिए पृथ्वी की ओर आने वाली गंगा को भागीरथी कहा जाता है।
हुगली
हुगली शहर के पास से गुजरने के कारण बंगाल क्षेत्र में इसका नाम हुगली पड़ा। हुगली, कोलकत्ता से बंगाल की खाड़ी तक इसका यही नाम है।
शिवाया
गंगा नदी को शिवजी ने अपनी जटाओं में स्थान दिया है। इसलिए इन्हें शिवाया कहा गया है।
मुख्या
गंगा भारत की सबसे पवित्र और मुख्य नदी है। इसलिए इसे मुख्या भी कहा जाता है।
पंडिता
ये नदी पंडितों के समान पूजनीय है, इसलिए गंगा स्त्रोत में इसे पंडिता समपूज्या कहा गया है।
उत्तर वाहिनी
हरिद्वार से लगभग 800 कि॰मी॰ मैदानी यात्रा करते हुए गढ़मुक्तेश्वर, सोरों, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बिठूर, कानपुर होते हुए गंगा इलाहाबाद (प्रयाग) पहुंचती है। यहां इसका संगम यमुना नदी से होता है। इसके बाद काशी (वाराणसी) में गंगा एक वक्र लेती है, जिससे यह यहां उत्तरवाहिनी कहलाती है।
देव नदी
ये नाम गंगा को स्वर्ग से मिला है। इस नदी को स्वर्ग की नदी माना गया है। देवताओं के लिए भी ये पवित्र मानी गई है। इस कारण गंगा का एक नाम देव नदी भी है।