वायरस में म्यूटेशन की वजह से करीब 20 फीसद मरीजों में कोरोना की सबसे पुख्ता मानी जाने वाली आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। सीटी स्कैन कराने पर कोरोना संक्रमण के चलते निमोनिया बहुत ज्यादा बढ़ा मिल रहा है।
भोपाल, मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित पालीवाल अस्पताल में भर्ती सौरभ जैन की रैपिड एंटीजन और आरटी-पीसीआर दोनों जांच रिपोर्ट निगेटिव आई, जबकि उनके फेफड़ों में 40 फीसद तक संक्रमण है। यहां ऐसे कई मरीज भर्ती हैं, जिनकी दोनों जांच रिपोर्ट बताती हैं कि वे कोरोना संक्रमित नहीं हैं, लेकिन जब सीटी स्कैन किया तो पता चला कि उनके फेफड़ों में संक्रमण है। दरअसल, वायरस में म्यूटेशन की वजह से करीब 20 फीसद मरीजों में कोरोना की सबसे पुख्ता मानी जाने वाली आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। इनमें ज्यादातर की रैपिड जांच भी निगेटिव होती है। रिपोर्ट निगेटिव होने पर भी सीटी स्कैन कराने पर कोरोना संक्रमण के चलते निमोनिया बहुत ज्यादा बढ़ा मिल रहा है।
एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह का कहना है कि वायरस में म्यूटेशन, सैंपलिंग व जांच की क्वालिटी ठीक नहीं होने से जांच में बीमारी पकड़ में नहीं आती। पिछले एक महीने से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि मरीज गंभीर हालत में अस्पताल आ रहे हैं, जबकि उनकी आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव होती है। पालीवाल कोविड अस्पताल के संचालक डॉ. जेपी पालीवाल ने बताया कि उनके यहां 120 मरीज भर्ती हैं, इनमें करीब 70 ऐसे हैं जिन्हें निमोनिया है, लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव है।
रिपोर्ट निगेटिव आने पर यह हो रही फजीहत
शहर के सरकारी अस्पताल एम्स, हमीदिया और जेपी में मरीज को तभी भर्ती किया जा रहा है, जब उसके पास कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट हो। ऐसे में इन मरीजों को भर्ती करने में भी परेशानी आ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि परिजन को भी यह मानकर कि उस व्यक्ति को कोरोना है कोरोना वार्ड में भर्ती करने की सहमति देना चाहिए। साथ ही किसी भी अस्पताल को ऐसे मरीजों को भर्ती करने से मना नहीं करना चाहिए।
कोविड-19 के राज्य सलाहकार डॉ. लोकेंद्र दवे का कहना है कि यह सही है कि रैपिड और आरटी-पीसीआर की जांच रिपोर्ट निगेटिव होने पर सीटी स्कैन में निमोनिया मिल रहा है। इसकी बड़ी वजह वायरस में म्यूटेशन भी हो सकता है, जिसे मूल वायरस के आधार पर बनी किट पकड़ नहीं पा रही हो।