गत वर्ष जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद अमेरिका में हिंसा का तांडव शुरू हुआ। चार घंटे चले उपद्रव में चार लोगों की जान चली गई। दरअसल अमेरिका में तीन नवंबर को ही यह तय हो गया था कि जो बाइडन देश के अगले राष्ट्रपति होंगे।
नई दिल्ली । गत वर्ष जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद अमेरिका में हिंसा का तांडव शुरू हुआ। चार घंटे चले उपद्रव में चार लोगों की जान चली गई। दरअसल, अमेरिका में तीन नवंबर को ही यह तय हो गया था कि जो बाइडन देश के अगले राष्ट्रपति होंगे। उधर, मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर भी हार मानने को कतई राजी नहीं थे। ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में धांधली के आरोप लगाकर जनता के फैसले को नकारते रहे। इतना ही नहीं ट्रंप हिंसा की धमकी देते रहे। इससे देश में एक संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
उपद्रव के बीच बाइडन की जीत का जश्न
1- मतदान के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडन की जीत पर मुहर लगाने में जुटी तो अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया। ट्रंप समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो चुके थे। यूएस कैपिटल में तोड़फोड़ और हिंसा शुरू हो गई। यूएस कैपिटल वही बिल्डिंग है, जहां अमेरिकी संसद के दोनों सदन हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट हैं। इस उपद्रव के चलते कुछ वक्त तक संसद की कार्यवाही रोक दी गई थी। करीब 12 घंटे बाद अमेरिका के दोनों सदनों ने बाइडन की जीत पर मुहर लगा दी। एरिजोना और पेन्सिलवेनिया में बाइडेन की जीत के खिलाफ ट्रंप की आपत्तियां खारिज कर दी गईं। इसके बाद ट्रंप ने भी टकराव के तेवर छोड़ दिए। उन्होंने वादा किया कि 20 जनवरी को ‘व्यवस्थित तरीके से’ सत्ता बाइडन को सौंप दी जाएगी।
2- यूएस कैपिटल हिस्टोरिकल सोसाइटी के निदेशक सैम्युअल हालिडे ने उस वक्त सीएनएन को बताया कि 24 अगस्त 1814 में ब्रिटेन ने अमेरिका पर हमला कर दिया था। अमेरिकी सेना की हार के बाद ब्रिटिश सैनिकों ने यूएस कैपिटल में आग लगा दी थी। तब से अब तक पिछले 206 साल में अमेरिकी संसद पर ऐसा हमला कभी नहीं हुआ था। इस घटना के 206 साल बाद अमेरिकी संसद पर ऐसी हिंसा हुई थी। यह अमेरिकी लोकतंत्र के लिए बड़ा शर्मसार था।
3- दरअसल, तीन नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव हुआ था। बाइडन को 306 और ट्रंप को 232 वोट मिले थे। इसके बावजूद ट्रंप ने हार नहीं कबूली। उनका आरोप है कि मतदान और काउंटिंग में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। ट्रंप ने कई राज्यों में केस दर्ज कराए। हालांकि, अधिकतर में ट्रंप समर्थकों की अपील खारिज हो गई। दो अन्य मामलों में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाएं खारिज कर दीं। ट्रंप इशारों में हिंसा की धमकी देते रहे। इस हिंसा ने साबित कर दिया कि सुरक्षा एजेंसियां ट्रंप समर्थकों के प्लान को समझने में नाकाम रहीं।
4- चुनावी नतीजों के बाद यूएस कैपिटल के अंदर सांसद जुटे थे और बाहर ट्रंप समर्थकों की भीड़ थी। वाशिंगटन के वक्त के मुताबिक यूएस कैपिटल के बाहर लगे बैरिकैड्स को ट्रंप समर्थकों ने तोड़ दिया। नेशनल गार्ड्स और पुलिस इन्हें समझा पाती, इसके पहले ही कुछ लोग अंदर घुस गए। दोपहर डेढ़ बजे कैपिटल के बाहरी हिस्से में बड़े पैमाने पर हिंसा होने लगी। इस दौरान गोली भी चली।
5- ट्रंप समर्थक संसद के अंदर घुस चुके थे। स्पेशल फोर्स के जवान उन पर बंदूक ताने नजर आ रहे थे। समर्थकों ने संसद के अंदर तोड़फोड़ की। कुछ दंगाई स्पीकर हाउस आफ रिप्रेजेंटेटि्व्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी की कुर्सी पर जा बैठे थे। खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए गए। स्पेशल फोर्स, मिलिट्री और पुलिस ने यूएस कैपिटल के दोनों फ्लोर से दंगाइयों को नियंत्रित किया था। अमेरिकी संसद के बाहर पुलिस की गोली लगने से एक महिला की मौत हुई थी। यह महिला अमेरिकी एयरफोर्स के रिटायर्ड सीनियर अफसर की पत्नी थी। एक और महिला और दो पुरुष गंभीर रूप से घायल हुए थे। इन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।