42 साल तक रहा रामपुर में आजम खान का दबदबा, नहीं बचा पाए बेटे अब्दुल्ला का किला; आप ने किया ध्वस्त

सपा के महासचिव आजम खां को स्वार विधानसभा सीट के उपचुनाव में तो मात मिली ही है वह निकाय चुनाव में भी अपना राजनीतिक घर नहीं बचा पाए। जिस शहर से वह 10 बार विधायक चुने गए उसी शहर में उनकी पार्टी मुख्य मुकाबले से भी बाहर हो गई।

 

रामपुर: सपा के महासचिव आजम खां को स्वार विधानसभा सीट के उपचुनाव में तो मात मिली ही है, वह निकाय चुनाव में भी अपना राजनीतिक घर नहीं बचा पाए। जिस शहर से वह 10 बार विधायक चुने गए, उसी शहर में उनकी पार्टी मुख्य मुकाबले से भी बाहर हो गई। रामपुर नगरपालिका चुनाव में आम आदमी पार्टी प्रत्याशी सना खानम ने बाजी मारी है। सपा तीसरे स्थान पर रही है।

आजम खां का रामपुर की राजनीति में करीब 42 साल दबदबा रहा है। 1980 में पहली बार वह शहर विधायक चुने गए। तब से 10 बार विधायक बने। 1996 में वह चुनाव हार गए तो उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनी, तब वह कई-कई विभागों के मंत्री रहे, प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रहे। रामपुर से लोकसभा सदस्य भी चुने गए। उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा भी राज्यसभा सदस्य रहीं।

आजम के गढ़ में सपा की हार

बेटे अब्दुल्ला भी दो बार स्वार सीट से विधायक चुने गए। इतना बड़ा सियासी घराना होने के बावजूद आजम खां के शहर में ही सपा निकाय चुनाव हार गई। हालांकि पांच निकायों में सपा प्रत्याशी विजयी हुए हैं, लेकिन आजम की सीधी प्रतिष्ठा रामपुर पालिका से जुड़ी थी।

दुल्हन के लिबास में सना ने मांगे वोट

रामपुर नगरपालिका में सपा की हार के कई कारण रहे। प्रत्याशी चयन को लेकर भी लोगों में नाराजगी थी। फात्मा जबी को प्रत्याशी बनाया गया था। इससे पहले उनके पति अजहर खां अध्यक्ष थे, जो लंबे समय से जेल में हैं। आप ने मामून शाह खां की पत्नी सना खानम को प्रत्याशी बनाया।

चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे मामून ने आनन-फानन में शादी की। निकाह के दूसरे दिन ही दुल्हन (सना खानम) ने नामांकन कराया और दुल्हन के लिबास में ही वोट मांगने शुरू कर दिए।

बेटे का किला भी नहीं बचा पाए आजम

सपा महासचिव आजम खां अपने बेटे अब्दुल्ला आजम का किला भी नहीं बचा पाए। स्वार सीट से अब्दुल्ला दो बार विधायक चुने गए थे। साल 2017 में उन्होंने नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां को हराया था, जबकि 2022 में नवेद मियां के बेटे हमजा मियां को हराया। नवेद मियां इस सीट से चार बार विधायक चुने गए थे। अब्दुल्ला के पूरी ताकत लगाने के बाद भी सपा स्वार से हार गई।

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