भारत के शहीदों के ख़ून से रंगा,पुलिस रेगुलेशन एक्ट 1861,समाप्त होना चाहिये”

इसी अधिनियम के तहत शहीद भगत सिंह को फाँसी दी गई जलियाँवाला बाग काँड हुआ !13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलवाईं जिसमें लगभग 1000 हज़ार निहत्थे लोग मारे गये तथा लगभग 2000 लोग घायल हुये लाला लाजपत राय तथा अमर शहीद भगत सिंह इसी पुलिस रेगुलेशन एक्ट का शिकार हुये !

लख़नऊ उत्तर प्रदेश ( अनिल मेहता ) यूँ तो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भारत के गृहमंत्री अमित शाह भारतीयता के बहुत बड़े पोषक हैं,परन्तु पुलिस रेगुलेशन एक्ट 1861 अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर की गई बर्बरता की याद दिलाता है! भारत की स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश सरकार ने पुलिस अधिनियम 1861 के द्वारा पुलिस को स्थानीय विधि व्यवस्था के अधीन किया था ! इसी अधिनियम के तहत शहीद भगत सिंह को फाँसी दी गई जलियाँवाला बाग काँड हुआ !13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलवाईं जिसमें लगभग 1000 हज़ार निहत्थे लोग मारे गये तथा लगभग 2000 लोग घायल हुये लाला लाजपत राय तथा अमर शहीद भगत सिंह इसी पुलिस रेगुलेशन एक्ट का शिकार हुये !
आश्चर्य की बात यह है कि भारत को स्वतंत्र हुये एक लम्बा अर्सा हो गया,परन्तु भारतीय शहीदों के खून से रंगे, इस पुलिस रेगुलेशन एक्ट 1861 का नाम नहीं बदला गया, आखिर क्यों भारत सरकार भारतीय शहीदों के खून से रंगे इस नाम को पाले हुये है ! ये समझ से परे की बात है ! ये नाम स्वतंत्र भारत पर कलंक के समान है,

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