लखनऊ के एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि मौजूदा मौसम उमस के साथ कई तरह के बुखार लेकर आया है। कोविड-19 के बीच मच्छरजनित रोगों और अज्ञात बुखार ने लोगों खासकर अभिभावकों को आशंकित कर दिया है।
लखनऊ, डेंगू, मलेरिया, वायरल से एक कदम आगे इन दिनों अज्ञात बुखार के मामले बड़ी तेजी से सामने आ रहे हैं। हालांकि यह कोई नए तरह का वायरस या बैक्टीरिया नहीं है। फिलहाल जो मामले आ रहे हैं, उनको इसलिए अज्ञात बुखार की श्रेणी में रखा जा रहा है, क्योंकि कोरोना संक्रमण के मामलों और इसकी जांच के बीच उस स्तर की जांचें नहीं हो पा रही हैं, जैसी पहले हो जाती थीं। इस कमी के कारण लोग पहचान ही नहीं पा रहे कि यह किस तरह का बुखार है। चूंकि लक्षण काफी हद तक कोरोना और अन्य संक्रमणों के समान हैं।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं भी इन दिनों जोरों पर हैं। इसलिए लोगों को यह भी लगने लगा कि कोरोना की अगली लहर सामने आ गई। वैसे इन दिनों जो मामले हैं, उनमें कुछ वायरल हैं तो कुछ बैक्टीरिया के कारण होने वाले बुखार हैं। कुल मिलाकर जांचों से यही सामने आया है कि ये मामले उन्हीं बुखार या तकलीफों के हैं, जिनसे हम मौसम के साथ दो-चार होते ही हैं।
लापरवाही पड़ सकती है भारी: अभी देश के अधिकांश इलाकों में कोरोना की तीसरी लहर स्पष्ट नजर नहीं आ रही है। परिणामस्वरूप लोग एक बार फिर लापरवाही बरत रहे हैं। भले ही अभी मामले कम हैं, मगर इसका यह कतई अर्थ नहीं कि कोरोना संक्रमण खत्म हो गया है या हम पूरी तरह इम्यून हो चुके हैं। आपको यह समझना होगा कि कोरोना वैक्सीन के एक या दोनों डोज लगवाने के बाद भी आप अन्य बीमारियों की चपेट में तो आ ही सकते हैं। भले ही कोरोना संक्रमण के लक्षण अन्य बुखार के समान ही हैं, मगर कोरोना वैक्सीन आपको इनसे बचाने में कोई मदद नहीं कर सकती। यह लापरवाही अंतत: आप पर ही भारी पड़ सकती है।
समय रहते शुरू करें इलाज: बीते दिनों जब लोगों को आइसोलेशन में रहते हुए सेल्फ मेडिकेशन के तरीके पता लगे तो यह कुछ हद तक फायदेमंद तो हुआ, मगर इसको अन्य तकलीफों में भी पालन करना काफी हद तक घातक साबित हो रहा है। दरअसल इन दिनों अज्ञात बुखार जैसे मामलों में गंभीरता का एक कारण यह भी है कि लोग बुखार आने के कुछ दिनों तक पैरासीटामोल या ऐसी अन्य दवाएं लेकर ठीक होने का इंतजार करते रहे हैं। ऐसे में स्थिति गंभीर हो जाती है, जिसके बाद मामले हाथ से निकल जाते हैं। बच्चों के लिए यह स्थिति और भी घातक है, क्योंकि भले ही बच्चे कोरोना से सुरक्षित रहें, मगर मौसमी बीमारियों से बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उस पर ऐसी लापरवाही जानलेवा साबित हो जाती है।
बढ़ जाता है कीटजनित संक्रमण: बारिश के मौसम में मच्छरजनित बीमारियां तो फैलती ही हैं साथ ही कुछ बुखार हमारे आसपास मौजूद जीव-जंतुओं द्वारा भी फैल जाते हैं। स्क्रब टायफस बुखार ऐसा ही एक संक्रमण होता है, जो घास-झाड़ी आदि में मौजूद खटमल से भी छोटे कीड़े के काटने से हो जाता है। इसके काटने पर इस कीट के भीतर मौजूद बैक्टीरिया हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं और संक्रमित कर देते हैं। इसी प्रकार लेप्टोस्पायरोसिस, जिसे रैट फीवर भी कहते हैं, के मामले भी इन दिनों काफी बढ़ जाते हैं। इसके जीवाणु गीले या नम स्थानों पर पनपते हैं और चूहों या पालतू जानवरों को संक्रमित करते हैं
बारिश के बाद जमा पानी में मिला इन संक्रमित जीवों का मल-मूत्र मनुष्य के संपर्क में आता है तो इस बुखार से पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। सेरोलाजिकल परीक्षण से इसकी जांच हो जाती है। एक अच्छी बात यह है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण नहीं जाता फिर भी कोई संक्रमण हो तो स्वच्छता का विशेष खयाल रखें। इससे बचाव के लिए बेहतर होगा कि पैरों की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करें और अगर आपके घर में पालतू जीव है तो उसे लेप्टोस्पायरोसिस वैक्सीन अवश्य लगवाएं।