बीते साल कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के लिए लाखों पाउंड फंड इकट्ठा कर के दिल जीतने वाले कैप्टन मूर का कोविड-19 की वजह से निधन हो गया। सौ साल के कैप्टन मूर द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके थे। उस दौरान उन्होंने भारत और बर्मा में अपनी सेवाएं दी थीं। कैप्टन मूर ने सेंट्रल इंग्लैंड के बेडफोर्ड अस्पताल में आखिरी सांसें लीं।
मूर ने बीते साल लॉकडाउन के दौरान नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए पैदल चल-चलकर 5.3 करोड़ डॉलर यानी करीब 386 करोड़ रुपये के आसपास फंड इकट्ठ किया था। कैप्टन मूर की बेटियों ने मंगलवार को एक बयान जारी कर बताया, ‘हम बेहद दुख के साथ यह बताना चाहते हैं कि हमारे पिता, कैप्टन मूर अब इस दुनिया में नहीं रहे।’
कैप्टन मूर के परिवार ने बताया कि बीते पांच साल से उनका प्रोस्टेट और स्किन कैंसर का इलाज चल रहा था। उन्हें निमोनिया हुआ था और 22 जनवरी को जब अस्पताल ले जाया गया तो उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। हालांकि, अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से उन्हें कोरोना वैक्सीन नहीं दी जा सकती थी।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और महारानी एलिजाबेथ ने मूर के निधन पर श्रद्धांजलि दी। पीएम जॉनसन ने कैप्टन मूर की बेटी से फोन पर बात भी की। मूर के सम्मान में डाउनिंग स्ट्रीट ऑफिस पर देश के झंडा आधा झुका दिया गया।
आपको बता दें, साल 2020 में कैप्टन मूर विंडसर कैसल में 94 की साल महारानी एलिजाबेथ से मिले थे. इस दौरान महारानी ने कैप्टन की उपाधि के लिए उन्हें सम्मानित किया था। साथ ही उन्हें देश का नाइटहुड सम्मान भी दिया गया था।
कैप्टन ने अपने 100वें जन्मदिन से ठीक पहले अपने बगीचे में 100 चक्कर लगाने का सोचा। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इससे उन्हें 1000 पाउंड तक का फंड मिलेगा जिसे वह नेशनल हेल्थ सर्विस को देना चाहते थे। इसकी बजाय उन्होंने रिकॉर्ड फंड इकट्ठा किया। उन्हें कुल 3 करोड़ 89 लाख पाउंड फंड मिला। उन्हें सौवें जन्मदिन पर 1 लाख 25 हजार बर्थडे कार्ड मिले। वह 30 अप्रैल 2020 को 100 साल के हुए थे।