पुलिसकर्मियों के आने की जानकारी पाकर जालसाज अलर्ट हो गया। फिर भी पुलिस ने समय रहते उसे दबोच ही लिया। आरोपित की काल डिटेल निकलवाई गई तो पता चला कि साइबर सेल से किसी ने उसे फोन पर दबिश की जानकारी पहले ही दे दी थी।
लखनऊ, जामताड़ा (झारखंड) गई लखनऊ की साइबर क्राइम सेल के पुलिसकर्मियों के साथ बिकरू कांड जैसी घटना होते-होते रह गई। दरअसल, डाक्टरों को विदेश टूर पर भेजने का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले जालसाज को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की एक टीम दबिश पर गई थी। पुलिसकर्मी जामताड़ा में आरोपित के ठिकानों पर दबिश दे रहे थे। इधर, साइबर सेल में ही तैनात एक सिपाही ने ठग को फोन कर दबिश की जानकारी दे दी।
पुलिसकर्मियों के आने की जानकारी पाकर जालसाज अलर्ट हो गया। फिर भी पुलिस ने समय रहते उसे दबोच ही लिया। आरोपित की काल डिटेल निकलवाई गई तो पता चला कि साइबर सेल से किसी ने उसे फोन पर दबिश की जानकारी पहले ही दे दी थी। पुलिसकर्मियों ने उस नंबर की पड़ताल की तो वह मुख्य आरक्षी जावेद अहमद का निकला। आनन-फानन पुलिस टीम वहां से आरोपित को लेकर लखनऊ पहुंची और राहत की सांस ली। टीम ने उच्चाधिकारियों को पूरे प्रकरण से अवगत कराया। इसके बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए। संलिप्तता की पुष्टि होने के बाद मुख्य आरक्षी जावेद अहमद को 26 दिसंबर को लाइन हाजिर कर दिया गया।
ठग से की थी लेनदेन की बात : आरोपित सिपाही ने ठग से लेनदेन की बात भी की थी। पूछताछ में गिरफ्तार किए गए जालसाज विशाल पांडेय ने पुलिस को बताया कि सिपाही ने उसे काल कर रुपये मांगे थे। कहा था कि रकम देने पर वह पुलिस टीम को दबिश पर नहीं भेजेगा। आरोपित के इन्कार करने पर उसे धमकी भी दी थी। बाद में उसे बताया था कि टीम दबिश दे रही है।
डाक्टर को भी झांसे में लिया : ठगी के शिकार डाक्टर राकेश जलोटा को भी सिपाही ने झांसे में लिया था। यही नहीं, डाक्टर से उसने कार्रवाई कराने के नाम पर पांच हजार रुपये भी वसूले थे। बाद में पीडि़त चिकित्सक को जब हकीकत पता चली तो उन्होंने सिपाही को फोन कर नाराजगी जताई थी। इसके बाद जावेद ने उन्हें दो हजार रुपये वापस किए। इसके पहले भी जावेद पर विभागीय कार्रवाई हो चुकी है।