दो इंजनों वाले देसी फाइटर जेट का पहला ट्रायल 2026 में शुरू होने की उम्मीद है। अगर सब ठीक रहा तो वर्ष 2031 तक इसे भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल भी कर दिया जाएगा। विमान वाहक पोत आईएसी-1 का नेतृत्व कौन सा युद्धक विमान करेगा
नई दिल्ली, भारत पड़ोसी देशों की चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा क्षमता को लगातार मजबूत करने में जुटा है। भारत न केवल युद्ध के साजो-सामान की संख्या बढ़ा रहा है, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से इसे उन्नत भी बना रहा है। इसी कड़ी में अब सुपरसोनिक जेट राफेल-एम का समुद्र से उड़ान भरने के ट्रायल की तैयारी हो रही है। इसके अलावा वर्ष 2022 के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को आईएसी-1 को आइएनएस विक्रांत के तौर पर नौसैनिक बेड़े में शामिल किया जाएगा।
1- एयरोनाटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी के मुताबिक दो इंजनों वाले देसी फाइटर जेट का पहला ट्रायल 2026 में शुरू होने की उम्मीद है। अगर सब ठीक रहा तो वर्ष 2031 तक इसे भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल भी कर दिया जाएगा। विमान वाहक पोत आईएसी-1 का नेतृत्व कौन सा युद्धक विमान करेगा, इसका फैसला फ्लाइट ट्रायल्स के बाद होगा। फिलहाल भारतीय नौसेना अभी अपने एकमात्र विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य से मिग-29के के दो स्क्वैड्रन का संचालन कर रही है। भारत रूसी मिग-29 के विमान मैंटनेंस और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता का संकट झेल रहा है।
2- डीआरडीओ का एलसीए-एम अभी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाया है। इसके लिए आईएनएस विक्रमादित्य और गोवा की समुद्र तटीय टेस्ट फेसिलिटी से सिंगल इंजन वाले दो डेमंस्ट्रेटर फाइटर जेट की टेस्टिंग की जा रही है। इसका मकसद भविष्य के दो इंजनों वाला ऐसा फाइटर जेट तैयार करने के लिए जरूरी जानकारियां जुटाना है जो विमान वाहक पोतों से उड़ान भर सके।
3- गौरतलब है कि इस वर्ष 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 15 अगस्त को आईएसी-1 को आइएनएस विक्रांत के तौर पर नौसैनिक बेड़े में शामिल किया जाएगा। पूरी संभावना है कि भारतीय नौसेना फ्रांस से इस वर्ष चार से पांच राफेल-एम लीज पर देने की मांग करे ताकि आईएनएस विक्रांत का संचालन शुरू हो सके। अंबाला एयरबेस में राफेल का मेंटनेंस कम फ्लाइट ट्रेनिंग फैसिलिटी है ही। नौसेना के पायलटों को आएनएस हंस पर ट्रेनिंग दी जाएगी।
4- राफेल-एम अपने प्रतिद्वंद्वी अमेरिका फाइटर जेट एफ-18 के मुकाबले हल्का विमान है। इसका एयरफ्रेम भी छोटा है। राफेल-एम हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों की लंबी दूरी के मामले में भी एफ-18 से ज्यादा अधिक क्षमता है। आईएसी-1 में बदलाव लाना पड़ेगा जिससे एफ-18 को हैंगर से फ्लाइट डेक तक लाया जा सके, क्योंकि इस जेट का तुलनात्मक रूप से ज्यादा बड़ा एयरफ्रेम है।
राफेल विमान की खासियत
1- राफेल विमान एक नहीं बल्कि कई खूबियों से लैस है। यही वजह है कि इसको दुनिया के कुछ ताकतवर फाइटर जेट में शामिल किया जाता है। ये विमान 1800 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचने में सक्षम है। बिना पे लोड के राफेल का वजन 10 टन है। वहीं यदि ये मिसाइल के साथ उड़ान भरता है तो इसका वजन 25 टन तक हो सकता है। राफेल विमान अपने साथ कई मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है। राफेल विमान स्टील्थ टेक्नोलाजी से लैस है। इसका अर्थ है कि यह दुश्मन के राडार को चकमा देने में सक्षम है। राफेल विमान हिमालय के ऊपर बेहद सर्द मौसम में भी उड़ान भरने में सक्षम है। इस तरह की काबलियत हर लड़ाकू विमान में नहीं होती है। राफेल विमान में सबसे खतरनाक मिसाइल लगी है जो हवा से हवा में अचूक मार कर सकती है।
2- यह विमान हैमर मिसाइलों से भी लैस है। इन मिसाइलों की खासियत है कि नो स्केप जोन में अगर कोई भी लड़ाकू विमान दिखाई दिया तो ये विमान उसको भी मार गिरा सकेगा। भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें हैमर मिसाइल लगवाई है। इसका अर्थ है। इनका इस्तेमाल कम दूरी के लिए किया जाता है। यह मिसाइल आसमान से जमीन पर वार करने के लिए कारगर साबित हो सकती हैं।
3- राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। इस लिहाज से ये पाकिस्तान के F-16 या चीन के J-20 से बेहतर है। इस विमान का काम्बैट रेडियस 3700 किमी है। इसका अर्थ है कि ये अपनी उड़ान वाली जगह से इतनी दूर हमला कर वापस लौट सकता है। इस विमान में हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है। इसलिए ये एक ही समय में अधिक दूरी तय कर सकता है।