वित्त मंत्री ने ‘परिवार का कीमती सामान बेचने के आरोपों को खारिज करते हुए कि विनिवेश पर सरकार की स्पष्ट रणनीति है। सरकार करदाताओं के पैसे को सोच-विचार कर खर्च करना चाहती है। सरकार द्वारा संचालित केवल एक डीएफआई होगा। इसमें निजी क्षेत्र की भी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि जिस समय दुनिया के विकसित देश भी महामारी से संघर्ष कर रहे थे, भारत ने बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था। बजट से पहले राजस्व सृजन का आकलन करना कठिन था। आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित संस्थान का प्रस्ताव आया। भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए आज एसबीआई के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है।
सीतारमण ने कहा, ”मुझे नहीं पता कि मीडिया में कोविड-19 कर या उपकर लगाने की चर्चा कैसे शुरू हुई? हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा। वित्त मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी से संघर्ष कर रही थीं, हमने इससे बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था।
सीतारमण ने तात्कालिक खर्च के लिए ‘परिवार का कीमती सामान बेचने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विनिवेश पर सरकार की स्पष्ट नीति है। पहली बार ऐसा हुआ है जबकि सरकार करदाताओं के पैसे को सोच-विचार कर खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का विचार आया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी। सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है। धार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है।