कंप्यूटर साइंस से बीटेक किए हुए अनुराग अग्रवाल कोरोना की त्रासदी में प्रतिबंध में कुछ कर गुजरने की चाहत मन में संजोए कृषि विभाग के अफसरों के संपर्क में आए। 1500 स्क्वायर फीट में एक लाख की लागत से सीजनल मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया।
लखीमपुर, किसानों की आय दोगुनी करने में अब मशरूम की खेती मददगार साबित हो रही है। तहसील सदर और ब्लाक फूलबेहड़ के गांव ओदरहना के अनुराग अग्रवाल ने अफसरों की प्रेरणा से मशरूम की खेती शुरू की। इसे बेचने के लिए इन्हें किसी बाजार या बिचौलिए की भी आवश्यकता नहीं है। कंप्यूटर साइंस से बीटेक किए हुए अनुराग अग्रवाल कोरोना की त्रासदी में प्रतिबंध में कुछ कर गुजरने की चाहत मन में संजोए कृषि विभाग के अफसरों के संपर्क में आए।
वर्ष 2020 के सितंबर माह में उन्होंने 1500 स्क्वायर फीट में एक लाख की लागत से सीजनल मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया। फरवरी 2021 तक मशरूम की खेती से 20 से 25 हजार की आय अर्जित की। फिर उन्होंने इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर करने का विचार किया। अनुराग ने पांच हजार वर्ग फीट कारपेट एरिया में 50 लाख की लागत से वर्ष भर मशरूम उत्पादन का काम किया। आज वह प्रतिमाह 45 क्विंटल मशरूम का उत्पादन करके 4.5 से पांच लाख तक की बिक्री कर रहे हैं।
वह इस रोजगार के जरिए 50 से 60 हजार प्रति माह की आय अर्जित कर रहे हैं। सरकार की योजना के जरिए आठ लाख का अनुदान दिलाने का काम भी प्रगति पर है। अनुराग को इस मशरूम उत्पादन के जरिए छोटे-छोटे सब्जी दुकानदारों को भी मशरूम बेचकर अच्छा मुनाफा मिल रहा है।
कम लागत में अधिक मुनाफा : भूसे और प्रोटीन के मिश्रण से तैयार कर उत्तराखंड के देहरादून से मशरूम का बीज मंगाकर बिजाई की जाती है। उन्होंने ओदरहना गांव में मशरूम उत्पादन के चार कमरे तैयार किए हैं जिसमें प्रति कमरे 2400 बैग की दर से कुल 9600 बैग के जरिए मशरूम उत्पादन का काम कर रहे हैं।
निर्धारित इकाई लागत का 40 फीसदी मिलेगा अनुदान : राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत प्रोजेक्ट बेस कार्यक्रम में उद्यमी अनुराग अग्रवाल के मशरूम उत्पादन को शामिल किया गया है। जिसकी डीपीआर प्रस्ताव शासन में स्वीकृति के लिए भेज दी गई है। निर्धारित इकाई लागत का 40 फीसदी अनुदान प्रदान किया जाएगा।