यूपी पंचायत चुनाव: आरक्षण जारी होने के बाद दावेदार खोजने लगे अपनी भाभी-दीदी और अम्मा, जानिए वजह

के लिए गांव  में सरगर्मी बढ़ गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए आरक्षण चार्ट जारी होने के बाद अब निगाहें पंचायत में होने वाले आरक्षण पर टिकी है। संभावित दावेदारों ने चुनाव जीतने के लिए हर हाल में अपना गुणा- गणित बैठाना शुरू कर दिया है। ग्राम पंचायतों का आरक्षण जानने के लिए ग्रामीणों ने जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं।

शासन ने त्रिस्तरीय के लिए आरक्षण की नीति जारी कर दी है। शासन ने ग्राम प्रधान की आरक्षित सीटों की संख्या तो बता दी है, लेकिन अभी ग्राम पंचायतवार आरक्षण स्पष्ट नहीं हो पाया है। जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए जिस तरह से सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है उसके बाद से दावेदार अब अपने घर की महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। इसके लिए कई दावेदार अपनी मां, बहन और भाभी से बात कर रहे हैं।  ग्राम पंचायतवार आरक्षण जानने के लिए लोग जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन वहां भी मायूसी हाथ लग रही है।

 ब्लॉक प्रमुख ज्यादा बनेंगी महिलाएं

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के 75 पदों में से 25 पदों पर महिलाएं काबिज होंगी। इस बार होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ब्लॉक प्रमुख के पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ेगी। वहीं ग्राम प्रधान पदों के आरक्षण में महिलाओं का हिस्सा कम हो गया है। आरक्षण ब्योरे के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर 12 सामान्य महिलाएं, सात ओबीसी महिलाएं और छह अनुसूचित जाति की महिलाएं यानी कुल 25 महिलाएं काबिज होंगी। पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह व निदेशक किंजल सिंह के मुताबिक  प्रदेश में महिलाओं के लिए ब्लॉक प्रमुख के कुल 300 पद आरक्षित किये गये हैं। इनमें से चार पद अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए, 86 पद अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए और 97 पद अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए 113 पदों रहेंगे।

पिछली बार यह हुआ था आरक्षण
वर्ष 2015 में हुए पिछले पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए ब्लॉक प्रमुख के कुल 298 पद आरक्षित हुए थे, इनमें से चार पद अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए, 86 पद अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए, 98 पद अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए और 110 पद सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित हुए थे।  इस तरह से 2015 के पंचायत चुनाव के मुकाबले इस बार जहां एक तरफ ब्लॉक प्रमुख के पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला का एक पद कम हुआ। वहीं सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए तीन आरक्षित पद बढ़ गए हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों पर महिलाओं के आरक्षण की स्थिति पिछले चुनाव की तरह ही है। जानकारी के अनुसार, इस बार के पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर अनुसूचित जनजाति की महिला के लिए कोई पद आरक्षित नहीं हुआ, यही स्थति पिछले पंचायत चुनाव में भी थी। अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए पिछले चुनाव की ही तरह छह पद आरक्षित किये गये हैं जबकि सात पद ओबीसी की महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं, इतने ही पद पिछले चुनाव में भी आरक्षित हुए थे। सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए कुल 12 पद आरक्षित हुए हैं, इतने ही पद पिछले चुनाव में भी आरक्षित हुए थे। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पिछले चुनाव के ही मुताबिक कुल 25 पद आरक्षित हुए हैं।

ग्राम प्रधान के पदों पर चुनाव में महिलाओं के लिए 333 आरक्षित पद घट गए हैं। 2015 के पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के लिए महिलाओं के लिए कुल 19,992 पद आरक्षित हुए थे, इनमें से अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए कुल 132 पद आरक्षित थे, अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए कुल 4341 पद आरक्षित हुए थे, अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए कुल 9927 पद आरक्षित हुए थे जबकि इस बार के पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए कुल 19659 पद आरक्षित हुए हैं। इनमें से अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए 131, अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए 4288, अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 5501 और सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए 9739 पद आरक्षित किए गए हैं।

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