भारत में अमेरिकी राजदूत के लिए एरिक गार्सेटी के नामांकन की हुई पुष्टि, 28 फरवरी को होगा मतदान

भारत में अमेरिका के दूत के पद के लिए अमेरिकी सेनेटोरियल कमेटी ने एरिक गार्सेटी के नामांकन पर मतदान निर्धारित किया है। सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष ने इसके लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है। (फाइल फोटो)

वॉशिंगटन, पीटीआई। भारत में अमेरिका के दूत के पद के लिए अमेरिकी सेनेटोरियल कमेटी ने एरिक गार्सेटी के नामांकन पर मतदान निर्धारित किया है। सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष ने इसके लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है। इसे एक सामान्य प्रक्रिया माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जनवरी में भारत के राजदूत के तौर पर गार्सेटी को एक बार फिर से नामित किया था। उस समय इनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी।

बाइडन के करीबी माने जाते हैं एरिक गार्सेटीहालांकि, यह इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए महत्व रखता है कि सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के पास पिछले सीनेट में पर्याप्त मत नहीं थे। डेमोक्रेटिक्स और व्हाइट हाउस ने विश्वास व्यक्त किया है कि इस बार अमेरिकी सीनेट की ओर से उनके नाम की पुष्टि कर दी गई है। गार्सेटी को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का करीबी माना जाता है। वह 2013 से लॉस एंजिलिस के मेयर हैं।

 

दो साल से अधिक समय से लंबित है अमेरिकी राजदूत का पदबता दें कि इससे पहले व्हाइट हाउस ने उनका नाम सीनेट के पास भेजने के बाद एक बयान में कहा था कि कैलिफोर्निया के एरिक एम. गार्सेटी भारत में अमेरिका के राजदूत हो सकते हैं। भारत में अमेरिकी राजदूत का पद दो साल से अधिक समय से लंबित है। हालांकि अभी भी अमेरिकी राजदूत की सबसे लंबी अवधि की पुष्टि नहीं की जा रही है। 28 फरवरी को सीनेट की विदेश संबंध समिति की स्थापना के बाद, उनका नामांकन पुष्टि के लिए सीनेट के फ्लोर पर जाएगा।

यौन उत्पीड़न के आरोप के कारण पिछली साल नहीं हो पाया था नामितएरिक गार्सेटी को भारत में अमेरिका का राजदूत बनाने को लेकर बाइडेन ने पिछले साल भी उनका नाम नामित किया था, लेकिन उस समय उनके नाम पर पेंच फंस गया था। देश में आंतरिक जांच के दौरान गार्सेटी के नाम पर रोक लगा दी गई थी। उनके नाम पर रोक लगाने के पीछे अहम वजह थी। मेयर कार्यालय के दौरान एरिक गार्सेटी पर एक महिला के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था।

एरिक ने बताया था आरोपों को बेबुनियादयही वजह है कि पिछले साल भारत के राजदूत के रूप में नामित किए जाने के बाद उनके नाम पर रोक लगा दी गई थी। बता दें कि हमेशा गार्सेटी ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न मामले को बेबुनियाद बताया है। हालांकि ऐसे में व्हाइट हाउस ने भी सार्वजनिक रूप से उनका बचाव किया।

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