विश्व का सबसे लंबा रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास पहुंचा डिब्रूगढ़, 50 दिन की यात्रा की पूरी

विश्व का सबसे लंबा रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास ने अपनी यात्रा पूरी कर ली। गंगा विलास की यात्रा उत्तर प्रदेश के वाराणसी से शुरू हुई थी जो अपनी 50 दिवसीय नदी यात्रा का समापन करते हुए मंगलवार को असम के डिब्रूगढ़ पहुंचा।

 

डिब्रूगढ़, पीटीआई । विश्व का सबसे लंबा रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास ने अपनी यात्रा पूरी कर ली। गंगा विलास की यात्रा उत्तर प्रदेश के वाराणसी से शुरू हुई थी, जो अपनी 50 दिवसीय नदी यात्रा का समापन करते हुए मंगलवार को असम के डिब्रूगढ़ पहुंचा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 जनवरी को वाराणसी से क्रूज को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

गंगा विलास ने 3,200 किलोमीटर की दूरी की तयबता दें कि अपनी यात्रा के दौरान, क्रूज ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम जैसे 5 राज्यों को पार किया। एमवी गंगा विलास ने ढाका, बांग्लादेश के रास्ते 17 फरवरी को असम में प्रवेश किया। जानकारी के अनुसार, गंगा विलास ने 27 नदी ईकाइयों में 3,200 किलोमीटर की दूरी तय की।

विश्व धरोहरों को देखने का मौकायात्रा के दौरान, एमवी गंगा विलास में सवार पर्यटकों ने विश्व धरोहर स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों और बिहार में पटना, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों का दौरा किया। इन जगहों पर विरासत को जानने का मौका मिला।

केंद्रीय मंत्री ने पर्यटकों का किया स्वागतबता दें कि केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाइक, रामेश्वर तेली ने स्विटज़रलैंड के पर्यटकों सहित अन्य पर्यटकों का स्वागत किया। जानकारी के अनुसार, लग्जरी क्रूज में तीन डेक, 36 पर्यटकों की क्षमता वाले 18 सुइट हैं। गंगा विलास की पहली यात्रा में स्विट्जरलैंड के 32 पर्यटकों ने पूरी यात्रा के लिए हस्ताक्षर किए थे। जानकारी के मुताबिक, यह अगले दो वर्षों के लिए आने-जाने के लिए पहले से ही बुक है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्ते होंगे मजबूतबता दें कि एमवी गंगा विलास क्रूज ने भारत और बांग्लादेश को दुनिया के नदी क्रूज मानचित्र पर प्रस्तुत किया है। भारतीय उपमहाद्वीप में पर्यटन और माल ढुलाई के लिए एक नया क्षितिज और कार्यक्षेत्र खोल रहा है। आध्यात्मिकता की तलाश करने वाले पर्यटकों को काशी, बोध जैसे स्थलों की यात्रा करने का अवसर मिलता है।

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