खट्टर या चौटाला…अविश्वास प्रस्ताव से ज्यादा टेंशन किसे? एक तीर से दो शिकार करने की क्या है कांग्रेस की रणनीति?

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच कांग्रेस ने हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। कांग्रेस ने विधानसभा सत्र के पहले दिन मनोहरलाल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। हालांकि, कांग्रेस की यह कोशिश मनोहर लाल खट्टर से ज्यादा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की टेंशन बढ़ा रही है। दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव का मकसद मनोहर लाल सरकार से ज्यादा जननायक जनता पार्टी पर दबाव बनाना है, ताकि जनता के बीच दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा की विश्वसनीयता खत्म हो जाए।

हरियाणा विधानसभा का सत्र पांच मार्च से शुरू हो रहा है। कांग्रेस सत्र के पहले दिन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर चुकी है। सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव मंजूर होगा या नहीं, यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो जजपा को अपना रुख साफ करना पड़ेगा। वह सरकार का समर्थन करती है, तो इससे साफ है कि जजपा किसानों के साथ नहीं है। किसानों का साथ देती है, तो भाजपा के खिलाफ जाना होगा।

जननायक जनता पार्टी किसानों की राजनीति करती रही है। विधानसभा चुनाव में जाट किसान मतदाताओं ने जजपा का समर्थन किया था। ऐसे में जजपा के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का साथ देना आसान नहीं हगा। क्योंकि, पार्टी के कई विधायक किसानों की मांगों का समर्थन कते हुए पार्टी अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री दुष्यतं चौटाला के लिए पार्टी को एकजुट रखना मुश्किल हो जाएगा। इसका असर सरकार की स्थिरता पर पड़ेगा और देर सबेर आखिरकार मुख्यमंत्री मनोहरलाल की सरकार गिर जाएगी।

कांग्रेस मनोहर लाल को हटाकर सरकार बनाने के पक्ष में नहीं 
कांग्रेस इस वक्त मनोहरलाल सरकार को हटाकर सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है। पर का फायदा उठाते हुए सरकार को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी के एक नेता ने कहा कि इस वक्त सरकार बनाने में कोई फायदा नहीं है। हम कोशिश करेंगे कि मनोहरलाल सरकार खुद गिर जाए। जजपा सरकार से समर्थन वापस लेती है, तो सरकार बहुत दिन नहीं चल पाएगी। ऐसी स्थिति में नए सिरे से विधानसभा चुनाव होंगे। कांग्रेस भी चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत से सत्ता में आना चाहती है।

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