कोरोना संक्रमण को लेकर लखनऊ में मंदिराें में सुरक्षा के इंतजाम, बड़ी काली जी मंदिर के पास नहीं लगेगा मेला,

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते मंदिरों में दर्शन की नई व्यवस्था की गई है। गर्भ गृह में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा तो चौक के बड़ी काली जी मंदिर के पास लगने वाला मेला नहीं लगेगा। श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वयं चढ़ाना होगा।

 

लखनऊ,  मां के नौ स्वरूपों की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते मंदिरों में दर्शन की नई व्यवस्था की गई है। गर्भ गृह में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा तो चौक के बड़ी काली जी मंदिर के पास लगने वाला मेला नहीं लगेगा। श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वयं चढ़ाना होगा। संदोहन देवी मंदिर, दुर्गा मंदिर शास्त्रीनगर, मां पूर्वी देवी, संतोषी माता देवी मंदिर व छोटी काली जी मंदिर समेत सभी मंदिरों में मां का दरबार सजाया जा चुका है। मंगलवार को कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक मां का गुणगान किया जाएगा।

संदोहन देवी मंदिर के अध्यक्ष कमल मेहरोत्रा ने बताया कि सुरक्षा के चलते मंदिर में सीमित लोगों को ही प्रवेश दिया  जाएगा। तैयारियां पूरी हो गई हैं। मांपूर्वी देवी के प्रबंधक प्रमोद शुक्ला ने बताया कि हर दिन मां का अलग-अलग रंगों के वस्त्रों से श्रृंगार किया जाएगा।

 चैत्र नवरात्र ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना चैत्र मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। चैत्र नवरात्र 13 से शुरू होकर 21 अप्रैल को समाप्त होगी। आचार्य, ने बताया कि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। चंद्रमा मेष राशि में रहेगा अश्विनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग बन रहा है। आचार्य आंनद दुबे ने बताया कि सर्वार्थ सिद्धि योग नवरात्र के महत्व को बढ़ाने का काम करेगा। नवसंवत्सर विक्रम संवत 2078 से आनंद नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। चैत्र नवरात्र की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। मां दुर्गा देवी का आगमन घोड़े पर सवार होकर हो रहा है जो शुभ नहीं है। भय एवं युद्ध की स्थिति बनी रहेगी। कंधे पर देवी के प्रस्थान होने से यह राष्ट्र के लिए सुख समृद्धि कारक होगा।

चैत्र नवरात्र घट स्थापना मुहुर्त: आचार्य, दुर्गेश कुमार शुक्ला  ने बताया कि चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि सोमवार को सुबह आठ बजे शुरू होकर 13 अप्रैल को सुबह 10:16 पर समाप्त होगी। 13 अप्रैल को सुबह 5:45 बजे से 9:59 बजे तक कलश स्थापना करना श्रेयस्कर होगा। चौघडिय़ा व अभिजित मूहुर्त सुबह 11:41 से दोपहर 12:32 बजे तक रहेगा। इस बीच भी कलश स्थापित किया जा सकता है।

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