लखनऊ में अब कोरोना संक्रमित को किसी भी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी(सीएमओ) के पत्र की जरूरत नहीं होगी। बेड खाली होने की स्थिति में निजी अस्पताल अब किसी भी कोविड संक्रमित को सीधे भर्ती कर सकेंगे।
लखनऊ, कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक प्रभावित लखनऊ को लेकर स्वास्थ्य विभाग हजार मौत के बाद गंभीर हो पाया। लखनऊ में अब कोरोना संक्रमित को किसी भी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी(सीएमओ) के पत्र की जरूरत नहीं होगी।
लखनऊ में निजी क्षेत्र के कोविड अस्पतालों में संक्रमित या फिर संभावित को भर्ती होने के लिए अब सीएमओ और इंट्रीगेटेड कोविड कमांड सेंटर( आइसीसीसी के रेफरल लेटर की जरूरत नहीं होगी। संक्रमित लोग अब प्राइवेट कोविड अस्पतालों में सीधे भर्ती हो सकेंगे। इसके इतर सभी सरकारी और अनुबंधित अस्पतालों में रेफरल लेटर की व्यवस्था जारी रहेगी। बेड खाली होने की स्थिति में निजी अस्पताल अब किसी भी कोविड संक्रमित को सीधे भर्ती कर सकेंगे। लखनऊ में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण से 1584 लोगों की मौत हो चुकी है।
लखनऊ में कोरोना वायरस संक्रमण का उपचार कराने के लिए बेहद परेशान लोगों को अब बेड की उपलब्धता पर निजी चिकित्सालयों में आसानी से भर्ती किया जाएगा। अब किसी भी निजी चिकित्सालयों में कोरोना संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी की परमिशन की जरूरत नहीं होगी। इनको तो अब निजी चिकित्सालय स्वत: भर्ती कर सकते हैं।
लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय भटनागर ने बताया अभी तक निजी चिकित्सालयों में कोरोना उपचाराधीन मरीजों को भर्ती होने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी की परमिशन चाहिए होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। निजी हॉस्पिटल संक्रमितों को भर्ती कर इलाज कर सकते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि निजी प्रयोगशालाएं कोरोना संक्रमित के साथ ही संभावित की जांच निरंतर जारी रखें और समय से रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। जिससे कि जांच और इलाज समय से हो सके।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 45 वर्ष से अधिक उम्र के जो भी लोग कोरोना का लगवाने के लिए आ रहे हैं। उनका टीकाकरण किया जा रहा है। लखनऊ के 45 वर्ष से अधिक की उम्र के सभी लोग स्वयं तथा अपने परिवार के लोगों को टीका अवश्य लगवाएं।